नवम राष्ट्रीय अधिवेशन के पश्चात् जब एक नए कार्यकारिणी बनने को है, युवा मंच में कई तरह के विरोधाभास हमारे सामने है, राष्ट्रीय अधिवेशन के चुनाव के दौरान कुछ अवांछित क्षण आये थे, जिनको रोका नही जा सका था, शायद हम इनको चुनाव के दौरान होने वाली खिंचा तानी भी कह सकते है, जो चुनाव के बाद आम तोर पर समाप्त हो जाती है, हमारे यहाँ यह चर्चा आज भी चल रही है। कभी उपाध्यक्षों की उम्र को ले कर, तो कभी मायुम की साईट को हेक दिखा कर। यह बात तो तय है, कि देश भर में युवाओ कि एक नए पोध ने युवमंच का कार्यभार सस्म्भालने के लिए तत्परता दिखाई है, उससे युवा मंच में एक नए रक्त का संचार हुवा है, और इसका असर हमे अनेव्वाले दिनों में दिखाई देगा। क्या इस तरह की बातू को उठा कर क्या कोई मंच का भला कर सकता है क्या। किसी को क्या हक़ है की अगर कुछ रचनात्मक नही कर सकता कोई, तो बने हुवे को तो नही बिगाडे । युवा मंच एक सतत प्रक्रिया है, अगर दूर कही कोई कुछ कह भी रहा है, तो उस पर मंच सदस्यो को ध्यान नही देना चाहिए , और अपना कार्य पुरी ईमानदारी से करते रहना चाहेये। किसकी उम्र क्या है, इस बात का तकाजा और संज्ञान लेने के लिए चुनाव के पहले पधाधिकरियो की एक टीम काम कर रही थी, उस समय तो इतना हल्ला नही हुवा था, अब यह हल्ला बेबुनियाद है, और इसको तुंरत बंध किया जाना चाहेये। मंच के भला चाहेने वालो से मेरी दरख्वास्त रहेंगी कि वेह अब और कीचड़ नही उछाले, और युवाओ के उत्साहवर्धन में योगदान दे, ताकी हम आने वालें दिनों में सही मायने में युवा मंच की एक फोज खड़ी कर सके।
इस ब्लॉग ने न जाने कितने लोगो को एक दुसरे से साश्हात करवाया है, क्या हम इस यात्रा को जारी नही रखना चाहेगे, ताकि हम सही मायने में इस ब्लॉग के उद्देश्य को पुरी ईमानदारी से पुरा करने के लिए अग्रस्सर हो। गुवाहाटी के एक सदस्य रमेश धदिच ने मुझसे कहा कि उसकी रांची यात्रा एक चिर स्मरणीय रहेंगी जिसके लिए वे युवा मंच का ता उम्र आभारी रहंगे। इस तरह के और भी कई सदह्द्य देश भर में रहे होंगे जिन्होंने अधिवेशन के जरिये कुछ नया पाया होंगे। क्या हम ब्लॉग पर उन सदस्यो की भावना प्रकाशित नही कर सकते। हम जरूर करेंगे, और जरूर कर्रेंगे। हमे नए लेखको को प्रोत्शाहन देंगे, युवा मंच के दर्शन अनुरूप कार्य करने वालें लोगो को ब्लॉग पर लेन की चेष्टा करेंगे। हो सकता है की हमे इस प्रयास में काफी समय लग जाए, पर हमे अपना होसला नही खोना है, यही हमारी हिम्मत है। पूर्वोत्तर जैसे अशांत इलाके में आज वर्षो से समस्याये प्रवासियों के लिए आती रही है, पर युवा मंच के सदस्यो ने कभी भी कानून और व्यवस्था को न तो तोडा और न ही अपने हाथो में लिया । आज इतर समाज इस बात से भली भांति परिचित है, अब प्रवासियों की बातें सुनी भी जाती है, और उनकी हालत पहले से कही बेहतर है, क्योकि हमने हमेशा से सययम से काम लिया है। आशा है की इस मौके को हम व्यर्थ नही जाने देंगे, और इस ब्लॉग के जरिये भाईचारे और प्रेम के संदेश को भी प्रसारित करेंगे।
सभी को शुभकामनाये,
रवि अजितसरिया,
गुवाहाटी
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