संगठन रुपी जंजीर की हम सभी कड़ियाँ है जो जुड़ी है भावनाओं के अटूट बंधन से.
साल भर में युवा मंच के २५ वर्ष पूरे होने जा रहे हैं. संगठन आत्मावलोकन करने जा रहा है तो मेरे मन में विचार आया की क्यो नही एक चिंतन या आत्मावलोकन मैं स्वयं भी करुँ.
पूरा लेख पढने के लिए नीचे दी गयी लिंक पर क्लिक करें. (यह लेख एक तरह से व्यक्तिगत लेख है इसलिए मैंने "मेरा मंच" के स्पेस का ज्यादा उपयोग न करते हुए इसे अलग से पब्लिश किया है)
http://mymbihar.blogspot.com/2009/01/blog-post_31.html
- अनिल वर्मा, पटना सिटी
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