रांची के युवा साथियों ने कड़ी मेहनत कर ९वे राष्ट्रीय अधिवेशन को जिस सफलता पूर्वक आयोजित किया है वो कबीले-ऐ-तारीफ है। कुछ खास बातें जो मैंने नोट की वो मैं यहाँ बताना चाहूँगा।
लगभग २२०० डेलिगेट का रजिस्ट्रेशन होने के बावजूद पंजीकरण काउंटर पर पुरा काम बड़े ही व्यवस्थित तरीके सो हो रहा था जो प्रायः नही होता।
भोजन की उत्तम व्यवस्था थी। शायद पहली बार ऐसा हुआ की भोजन कूपन का पूर्ण उपयोग हुआ हो। यह व्यवस्था हमेशा विफल ही होती है। लेकिन इस बार ये शत प्रतिशत सफल थी।
गेट पर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था थी और किसी को भी पहचान पत्र दिखाए बगैर अंदर नही जाने दिया जा रहा था। लेकिन इक्का दुक्का केस को छोड़ दे तो कहीं पर कोई विवाद नज़र नही आ रहा था।
यातायात की उत्तम व्यवस्था थी। देर रात तक भी यातायात के साधन उपलब्ध थे।
व्यवस्था के मामले में रांची के युवा साथियों ने कोई कमी नही छोड़ी थी।
शाबाश रांची !
प्रमोद कु जैन
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2 comments:
इसमे कोई दो राय नही कि
रांची शाखा सदस्यों ने जिस लगन और समर्पण भाव से अपने कार्य को अंजाम दिया है, वो काबिले तारीफ़ है. हर एक सदस्य को पुरे अधिवेसन में सिर्फ़ अपने कार्य से मतलब था और कार्य की सफलता उनका एक मात्र मकसद था.
उन सदस्यों में एक और अनुकरणीय बात दिखी कि किसी भी सदस्य के चेहरे पर गुस्सा, थकान आदि भाव नही दिख रहे थे.
इन सदस्यों और इनके नेतृत्व की जितनी भी तारीफ़ की जाए, कम है.
ओमप्रकाश अगरवाला
व्यवस्था उत्तम थी, इसमे कोई दो राए नही है.
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