अखिल भारतीय मारवाडी युवा मंच का नवम राष्ट्रीय अधिवेशन "कारवां - 2008" ने काफी कुछ सन्देश दिया है, ये सिर्फ शीर्ष सत्ता का हस्तांतरण भर नहीं था वरन कुछ हद तक बच्चों के खेल "आई स्पाईज़" की तरह का एक मजेदार खेल भी था, जिसमे एक बच्चा अपने छुपे हुए साथियों को ढूंढता है और उन्हें देख - पहचान कर कीलक कर बोलता है आई स्पाईज़ यानि मैंने तुम्हे ढूंढ़ लिया और यदि छुपे हुए ने पहले देख लिया तो वो बोलता है "धप्पा". इस मजेदार खेल को मैंने प्रत्यक्ष खेला है रांची में, कुछ को मैंने कहा आई स्पाईज़ तो कईयों ने मुझे कहा धप्पा सुमित. ये खेल खेलने वाले हजारों साथी थे, जो सारे देश से इकठ्ठा हुए थे. सब में एक बात विशेष थी, सब मंच के धागे में पिरोये हुए मोती थे और जब ये मोतियों की माला कारवां के रूप में रांची के ह्रदय पर सजी तो इसका गौरव और बढ़ गया, धन्यवाद रांची इस अभूतपूर्व आतिथ्य के लिए और उस विशाल ह्रदय के लिए जहाँ हम ये "आई स्पाईज़" का खेल खेल सके. यहाँ एक और तरह के लोग थे, जिनसे पहले इन्टरनेट के माध्यम से बातचीत हुआ करती थी पर दर्शन लाभ नहीं हुआ था, ऐसे लोग भी सैन्करों की की संख्या में थे जब उनसे सामना हुआ तो शमा ही कुछ और बन गया, फिर उनके साथ बैठक करने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ. जिसमे दो तरफा संवाद के लिए विशेष चर्चा हुई, जिसपर आम सहमती भी बनी.
जाड़ी....
-सुमित चमडिया
मुजफ्फरपुर
9431238161
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