राष्ट्रीय उपाध्यक्षों की उम्र के विवाद के सन्दर्भ में, मैं अन्य मंच सदस्यों की तरह चुप ही रहना चाह रहा था. लेकिन आज इतने फ़ोन, शाखाओं से आए की मजबूर होकर अपना आक्रोश इस पोस्ट के माध्यम से व्यक्त कर रहा हूँ -
शाखा एवं प्रांतीय पदाधिकारियों का कहना है -
१. ये सभी विवाद जिन लोगों द्वारा उठाये जा रहे है, वो चुनाव से पहले क्यो चुप थे ?
२. अगर किसी तरह की कोई बात थी तो क्या इन मुद्दों को सार्वजनिक करने से पहले, इन्हे संगठन में किसी भी स्तर पर उठाया गया ? या इसका मकसद सनसनी फैला कर सस्ती लोकप्रियता हासिल करना है ?
३. क्या मंच में मुद्दों को एस. एम्. एस. और ब्लॉग द्वारा उठाना चाहिए? क्या हमारी संस्था में मुद्दों को उठाने के लिए कोई व्यवस्था नही बनी हुई है?
४. सबसे प्रमुख बात, कि एक आम सदस्य तक विवादों से सम्बंधित एस. एम्. एस. भेजने वाले क्या मंच के हितैषी हैं? क्या ऐसा कर वो संगठन के प्रति उसके कार्यकर्ताओं में अविश्वास फैला कर, संगठन को कमजोर करने की साजिश रचने के दोषी नहीं है?
हम सभी जानते है की अपने-अपने गाँव-कसबे और शहर में मंच की शाखाओं को खोलने और उन्हें सक्रिय रखने में कितने लोगों ने अपना खून-पसीना बहाया है. और अब मंच में घृणा की राजनीती शुरू करने वाले ये चंद लोग हमारे पूरे संगठन को नुकसान पहुँचाने और संगठन तथा उसके वरिष्ठ पदाधिकारियों के खिलाफ जहर घोल कर संगठन के प्रति सदस्यों में दूरी बढ़ाने का काम कर रहे है. मोबाइल और ब्लॉग पर घृणा की राजनीती करने वालों को मेरी सलाह है की अगर आप प्रसिद्द होना चाहते है तो नफरत फैला कर नहीं. धरातल पर कुछ काम करके प्रसिद्द होने का प्रयास करें. लोग आपको इसलिए नहीं याद रखें की देखो यही वो व्यक्ति है जो हर किसी में कोई बुराई खोजता चलता है बल्कि इसलिए याद रखें की ये वो शख्स है जिसने संगठन के सतत उत्थान को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया. बनना है तो रामजी भरतिया बनिए, वीरेन्द्र जालान बनिए.
और अंत में, याद रखें की इस दुनिया में कोई बेवकूफ नहीं है. कोई आपके मुख पर भले ही कुछ ना कहे लेकिन आपकी भूमिका प्रत्येक मंच कार्यकर्ता देख रहा है. शायद आप एक बार उसका मनोबल तोड़ कर उसे कुछ देर मंच से उदासीन करने में कामयाब हो जायें लेकिन जब वो पुनः जागेगा तो मंच (एवं इस रूप में एक आम कार्यकर्ता) को बदनाम करने वालों को कभी माफ़ करेगा, मुझे इसमे कतई संदेह नही है.
इतने आक्रोश में हूँ की अंत नहीं हो पा रहा, और सुनिए - हम मंच में राजनीती करने नही आए है. समाज और अपना विकास करने के लिए यहाँ पर जुटे थे. जिन्हें राजनीती करने का शौक है, क्या उनमे इतनी हिम्मत है की सक्रिय राजनीती में प्रवेश कर अपनी दाल गला सके. मंच को राजनीती का अखाड़ा बनाया जा रहा है. एक आम मारवाड़ी कार्यकर्ता को इन सब से क्या मतलब? हाँ, उसे दुःख जरुर होता है की अपने व्यवसाय और परिवार से समय काट कर जिस संगठन में अपना तन-मन-धन दिया, उसमे इतने निचले स्तर का कार्य हो रहा है. हमारे देश में राजनैतिक दलों की कोई कमी नहीं है. ऐसे लोग वहां समय क्यो नही देते?
अन्दर बहुत कुछ है, एक कार्यकर्ता के आक्रोश को मत जगाइए अन्यथा आप को बहुत कुछ सुनना और देखना पड़ जाएगा. मंच हमारा घर है, २४ वर्षों में हजारों कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने जीवन के बहुत सारे पल दिए है और खट्टी-मीठी यादें इससे जुड़ी हुई है इनमे कड़वापन ना घोले. प्लीज. हाथ जोड़ कर सबसे अनुरोध है आपस की लडाई में संगठन की बली मत दीजिये.
बुरा मानो या भला, संगठन का एक अदना सा कार्यकर्ता
- अनिल वर्मा
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January 18, 2009
मंच समाचार के आदरणीय संपादक महोदय ने अपने ब्लॉग से विवादित पोस्ट को हटाकर कार्यकर्ताओं की भावनाओं को सम्मान दिया है, इसके लिए वो साधुवाद के पात्र है. आशा है की ब्लॉग पर लिखने वाले सभी मंच सदस्य इस बात का ध्यान रखे की मंच सम्बन्धी किसी भी विवाद को सीधे इन्टरनेट पर उठाने की बजाय, पहले उसे सम्बंधित सक्षम पदाधिकारी के समक्ष उठायें.
इस सम्बन्ध में, मैं एक उदाहरण देना चाहता हूँ बिहार की किसी शाखा ने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्बंधित एक प्रश्न उठाया और मुझसे कहा गया की मैं इसे ब्लॉग पर पब्लिश कर दूँ. मैंने उन्हें सलाह दी की पहले आप इस प्रश्न को सम्बंधित सक्षम पदाधिकारी के समक्ष उठायें और यदि वो इसका जवाब देने से इंकार कर दे तब हम विचार करेंगे की उचित तरीका क्या होना चाहिए. यह प्रश्न पिछले एक सप्ताह से पेंडिंग चल रहा है. लेकिन मेरा मानना है की हमें किसी भी प्रश्न को सम्बंधित पदाधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करने के बाद कम से कम २-३ सप्ताह का समय भी देना चाहिए. उसके बाद हम इसे मर्यादित तरीके से एक प्रश्न के रूप में ब्लॉग पर उठायें.
इसके बाद भी, मैं ऐसे या किसी भी प्रश्न को एस. एम्. एस. द्वारा देश भर में आम सदस्यों तक भेजने का सख्त विरोधी हूँ. एस. एम्. एस. की उपयोगिता मंच कार्यक्रमों, गतिविधियों और सूचनाओ के प्रेषण तक ही होनी चाहिए.
- अनिल वर्मा
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11 comments:
जय सिया राम अनिल भैया,
वास्तव में आपका आक्रोश वाजिब है, पर व्यसायिकता भी तो कोई चीज है की नही, यदि आप कोई चीज बेचना चाहते हैं तो सनसनी तो फैलानी ही पड़ेगी, सारे देश में SMS भेजना कोई मजाक बात है क्या, कितनी मेहनत से कई वर्षों में बना होगा ये डाटा बेस. उसका कहीं तो इस्तेमाल हो.
- सुमित चमडिया
मुजफ्फरपुर
9431238161
वाह शम्भूजी, क्या बात है. आप ने अनिल जी अगरवाल द्वारा उठाये गए सवालों का जवाब क्यों नही दिया? अनिल जी वर्मा के आलेख ने क्या आपका ह्रदय परिवर्तन कर दिया है. मंच हीत में आपने उम्र विवाद को अपने नीजी और व्यवसायीक ब्लॉग से हटा लिया. यानि आप मानते हैं कि इस विवाद को प्रकाशित कर आप मंच अहित कर रहे थे. वैसे ऐसा करना आपकी पुरानी आदत है, कुछ दिनों पहले आपने प्रमोद जी शाह पर आपत्तिजनक बातें लिखी और फिर उसे संसोधित किया और फिर उसे हटा लिया. आपने अरुण जी बजाज पर आपत्ति जनक बातें लिखी और फिर उसे हटा दिया. आपका कोई स्टैंड है भी या नही? ओमप्रकाश जी और अक्षय जी की काबिलियत पर आपके नीजी विश्वास या अविश्वास से क्या फर्क पड़ता है, जिन्हें उन पर विश्वास होना चाहिए, उन्हें हैं. आप अपना ब्लॉग चलाईये, खूब चलाईये, लेकिन ध्यान रखियेगा कि मंच को नुक्सान पहुंचा कर यदि आपने व्यक्तिगत फायदे कि बात सोची तो मंच सदस्य आपको कभी माफ़ नही करेंगे.
दुसरो से जवाब मांगते हैं आप, अब आप क्यों नही जवाब देते सीधे तौर पर पूछे गए सवालों का? हिम्मत कीजिये कि अनिल जी के पत्रों को आप अपने ब्लॉग पर प्रकाशित करें और उन पर अपना जवाब दें.
मैं भगवन से कम से कम यही दुवा करूगा कि आप के हाल के कर्मो हेतु आप पर कोई कानूनी करवाई न हो.
विनोद लोहिया, गुवाहाटी
९४३५१-०६५००
This matter has also been sent to manch samachar.blogspot.com
एक बात मेरी समझ में यह नही आयी कि इस ब्लॉग से शम्भू जी सभी पोस्ट गायब क्यों हो गए? जैसा कि मुझे बताया गया कि शम्भू जी ने स्वयं ये पोस्ट हटा ली थी. यदि कोई सैधांतिक मतभेद था भी तो अपने पुराने पोस्ट हटाने का क्या मतलब निकला जाए?
शंकर अगरवाल, गुवाहाटी
What is this "Manch News", where from manch members data base has been used in a anti social activity. How can some one say that, NVP found overage? Why should not disciplinary actions should be initiated against persons involved in demoralising manch members.
Rajesh Jalan, Tezpur
मेरा एक सवाल है, आशा है की मेरे इस सवाल पर पदाधिकारी गन चिंता भी करेंगे.
सवाल:-
manch news नामक s. m.s. group किसका है. मंच सदस्यों का यह डाटा बेस किसने, कब और क्यों बनाया? इस के द्वारा जो ग़लत sms हजारों सदस्यों के भेजा गया है उसका उत्तर दाई कौन है? क्या मंच के विरुद्ध कार्य करने वाले या मंच की डाटा base का ग़लत और व्यवसायीक उपयोग करने वालों पर कोई कार्रवाई होगी?
Arun Agarwal, New Delhi
Mr. Ajatshatru, I have given the following comments on "manchsamachar.blogspot.com" and I have reasons to believe that, blog owner will not publish the same.
I request you to kindly publish the same and oblige:-
sampadak mahoday aapne likha hai-
हम आक्रोश की जगह समाधान की तरफ सोचना चाहिये।
prashn yah uthata hai ki aakrosh paida kisne kiya? Akshay Khandelwal wale matter par jab aapko yah kaha gaya ki aise matter ko blog par uthane se pahle ya sarvajanik karne se pahle neritw ke saamne aur sambandhiy vyakti ke saamne laya jana chahiye, aapne us blog (meramanch) se apne ko alag hata liya aur apna naya blog bana liya. Apne blog par aapne us maater ko puri sansani se uthhaya. Phir aapne Omprakash Agarwalla ko bhi is mamle mein lapeta, bina yeh jaane ki vastawik sthiti kya hai, vina yeh jaane ki unhone chunw adhikari ko kya praman patra diya, aapne unhe bhi overaged ghoshit kar diya.
Kya samadhan aise hote hain? kya ab aap apne shahar ke hi purv raashtriya adhyaksh aur purv rashtriya upadhyaksh ki umra par bhi aisi hi koi sansani lana nahi chah rahe?
Aapko yeh haque kisne diya ki kisi vyakti ke samman ko is tarah sarvajanik rup se thesh pahoonchaye?
Shankar Agarwalla
098640-94905
जिस समय रांची के अन्दर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के चुनाव के फॉर्म भरे गए थे , उस समय उनका एज प्रूफ़ क्यूँ नही लिया गया ? और आज अखिल भारतीय मारवाडी युवा मंच के नेशनल वाइस प्रेजिडेंट जैसे जबाबदारी वाले पढ़ भी शंकाओ के दायरे में आरही है . इसका सभी को बड़ा अफ़सोस है , लेकिन आगे मंच में इस तरह के कार्य न हो अतः जो भी शंकाओ के दायरे में है उनकी सत्यता की जाँच करे और अगर वो दोषी पाए जाते है तो अवश्य उनके पास से उस पढ़ का दायित्व निकल लेना चाहिए. इसके साथ ही जो अन्य नेशनल वाइस प्रेसिडेंट बचे है उनकी भी आयु की सत्यता अभी जाँच लेनी चाहिए. साथ ही साथ JITU भाई को ये भी ध्यान रखना होगा की उनकी बनने वाली नई राष्ट्रीय कार्यकरनी में एक भी सदस्स्य ओवर एज न आने पाए .
ओमप्रकाश पाटनी
पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष.ANGA -
शाखा -ICHALKARANJI
MAHARASHTRA
ओमप्रकाश जी पाटनी की टिपण्णी पढ़ी। उन्होंने लिखा है "जिस समय रांची के अन्दर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के चुनाव के फॉर्म भरे गए थे , उस समय उनका एज प्रूफ़ क्यूँ नही लिया गया ?"। तत्कालीन राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के नाते इन्हे पता होना चाहिए था कि चुनाव के फार्म रांची में नही भरे गए थे। उन्हें यह भी पता होना चाहिए था कि रांची में उम्मीदवारों से उम्र सम्बन्धी प्रमाण पत्र लिए गए थे। जिस कार्यकारिणी ने चुनाव अधिकारी को नियुक्त किया, पाटनी जी उसके अभिन्न अंग थे। अतएव ऐसा कह कर या तो यह कहना चाहते हैं कि चुनाव अधिकारी महोदय का चयन ग़लत हुवा था। इतने बड़े पड़ पर आप रहे हैं, और आप के कार्यकाल की इस घटना पर ऐसी टिपण्णी करने से पहले शायद आपको सोचना चाहिए था, चुनाव अधिकारी महोदय से बात करनी चाहिए थी।
पाटनी जी, अपने सभी उपाध्यक्षों की आयु सम्बन्धी सत्यता की जांच कि बात कह कर न सिर्फ़ चुनाव अधिकारी, चुनाव अधिकारी की टीम, बल्कि वर्तमान राष्ट्रीय उपाध्यक्षों का भी अपमान किया है। आपसे गुजारिश है कि कृपया आप लोगो द्वारा चयनित चुनाव अधिकारी महोदय से बात करें, उनसे स्पष्टीकरण लें, और यदि आप इस नतीजे पर पहुँचे कि चुनाव अधिकारी महोदय अपने काम को सही अंजाम नही दे पाए हैं, तब आप अपने निर्णय पर पश्चाताप करने के बाद वर्तमान में चुने गए पदाधिकारियों हेतु नसीहत दें। वैसे आप जसी वरिष्टपड़ पर रहे लोगो को अपनी ऐसी सलाह सीधे रा० अध्यक्ष को ही देनी चाहिए, ऐसा न कर सार्वजनीन रूप से ब्लॉग पर यह बात कह कर कहीं आप रा० अध्यक्ष महोदय पर तो शंका नही कर रहे हैं।
विनोद लोहिया, गुवाहाटी
राष्ट्रीय उपाध्यक्षों की उम्र के विवाद के सन्दर्भ में मैं सिर्फ़ यही कहना चाहूँगा की हमें मंच को राजनीती का अखाडा बनने से रोकना होगा
इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार की राजनीती या मंच के किसी कार्यकर्ता का अपमान बर्दाश्त नही किया जाएगा , जिस संघठन को हमने इतने वर्षो की म्हणत से खड़ा किया है उसको यु टूटता हुआ नही देख सकते है कभी कभी बहुत तकलीफ होती है इन सब चीजों को देख कर की लोगो ने अपने स्वार्थ क लिए मंच को राजनीती का अखाडा बना लिया है ,, अगर कही पर कोई विवाद है तो उस पर विचार करने और निर्णय लेने के लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी है हम किसी भी बात का निर्णय करने वाले होते कौन है ,, जहा तक अक्षय जी और दुसरे राष्ट्रीय उपाध्यक्षों की उम्र का सवाल है हमें यह विषय राष्ट्रीय कार्यकारिणी पर छोड़ देना चाहिए की इस विषय पर वो क्या निर्णय लेते है अगर उनका निर्णय मंच हित के विरुद्ध होगा तब हमें अपनी बात रखने का पुरा अधिकार है,, जब यह विषय ब्लॉग पर आया तो मुझे काफ़ी दुःख हुआ की क्या हमने इन २४ वर्षो में मंच को यही दिया और क्या यही पाया है ?
एक छोटे से पद के लिए हम आपस में लड़ रहे है
इस ब्लॉग पर इस सम्बन्ध में काफ़ी विचार पढने को मिले और मुझे इस बात की खुशी है की जितने भी लोगो ने इस विषय पर अपने विचार लिखे है सबने एक बात ये जरुर कही है की हम निजी स्वार्थ के लिए मंच को राजनीती का अखाडा नही बनने देंगे ,,
नमन है उन युवा साथ्जियो का जिनके मन में आज भी मंच हित की बात सर्वोपरि है
महानुभावो से निवेदन है की कृपया अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए मंच का इस्तेमाल न करे
अगर आवेश में कुछ ग़लत लिखा गया हो तो मै उसके लिए आप सभी से माफ़ी मांगता हूँ
आशीष बोंदिया
प्रांतीय महामंत्री
छत्तीसगढ़ प्रांतीय मारवाडी युवा मंच
09977122227, 09302249000
उम्र विवाद को सुलझाने के लिया क्यों ना मंच सबिधान को संशोधन किया जाए! क्यों की हमारे मंच में आज भी बहुत कर्मठ सदस्य है जिनकी मंच को शक्त जरुरत है ! प्राथमिक तोर पर ३ साल और बढ़ा कर बर्तमान कर्मठ सदस्ययो को मंच की सेवा करने का मोका देना चाहिए! इस पर कोई विवाद नही होना चाहिए! अगर किशी को मंच के प्रति इसके बाद भी लगाव रहता है तो बिना पोस्ट में भी रहकर मंच के प्रति अपना सेवा और भावना दर्शाना चाहिए!
राजेश कुमार जैन, भवानीपटना (उड़ीसा)
अजातशत्रु जी,
मैंने निम्न टिपण्णी "meanchsamachar.blogspot.com" पर भेजी है. इसे अब तक उस ब्लॉग द्वारा प्रकाशित नही किया गया है. मेरा अनुरोध है कि मेरी यह टिपण्णी आपके ब्लॉग में प्रकाशित करें. समझ में यह नही आता कि दुसरो से जवाब मांगने वाले स्वयं पर उठे सवालों का जवाब क्यों नही देते?
संपादक महोदय, आपने पहले तो दो राष्ट्रिय उपाध्यक्षों के फोटो प्रकाशित किया और उनके उम्र पर सवाल खड़ा किया. बाद में आपने मंच हीत की दुहाई देते हुवे उस प्रकरण को अपने ब्लॉग से हटा दिया. अब आप मायूम के तथाकथित उम्र सम्बंधित विवाद पर मत दान की गुजारिश कर रहे हैं. यानि मंच हीत की बात सिर्फ़ शमशानी वैराग ही थी.
खैर अब जब आप कह रहे हैं कि "जिन नये राष्ट्रीय उपाध्यक्षों की उम्र 45 वर्ष को पार कर चुकी है, क्या उन्हें पद त्याग देना चाहिये?" यानि आप का ब्लॉग इस बात को स्थापित कर चुका है कि मायूम के एक से अधिक उपाध्यक्ष उम्र सीमा पार कर चुके हैं. यानि यह मतलब निकला जा सकता है कि आप अधिकारिक तौर पर इस बात की जिम्मेदारी लेते हैं और आप की बात ग़लत साबित होने पर आप खामियाजा भुगतने को भी तैयार है. वैसे शम्भू जी क्या आप बताने का कष्ट करेंगे कि सही उम्र तय करने का adhikaar आपको किस ने प्रदान किया है?
RAJESH JALAN, TEZPUR
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