ब्लॉग से जुड़े सभी महानुभव को मेरा नमस्कार। आज में एक ज्वलंत मुद्दा ले कर आया हूँ। कहा जाता हे "जहाँ न पहुंचे बेलगाडी वहां पहुंचे मारवाडी"। हम मारवाडी देश, दुनिया के कोने-कोने में पहुँच चुके हे, पर कई बार मेरे मन में विचार आता हे की
"मारवाडी कौन हे?"। आज आप सोच रहे होंगे की में ये बेतुका सवाल क्यों ले कर आया हूँ? पर में आप से अपनी आप बीती बटना चाहूँगा, आज में आपने एक मित्र के साथ चर्चा कर रहा था तभी उसने मुझसे प्रस्न किया की"तू तो अगरवाल हे फिर तू अपने आप को मारवाडी क्योँ कहता हे"। मेरे पास उसके इस प्रस्न का कोई उत्तर नही था। कृपया मेरी बातो को अन्यथा न ले और मेरा सभी से अनुरोध हे की मेरा मार्गदर्सन करें।
भवंत अग्रवाल
सह-सयोंजक कंप्यूटर
उत्कल प्रांतीय मारवाडी युवा मंच
3 comments:
मारवाडी, उद्यमशीलता का पर्याय है कि रोजगार, उद्योग-धंधों को खड़ा कर न केवल अपना बल्कि अपने ऊपर आश्रित अनेकों कर्मचारियों का घर कैसे चलाया जाता है इस सूझ-बूझ का नाम है मारवाड़ी.
किसी आदमी को अपनी जुबान का पक्का होने की मिसाल देने का पर्याय है मारवाड़ी. भरोसे और विश्वास का दूसरा नाम है मारवाड़ी.
एक जीवन-शैली है मारवाड़ी, जितनी आस्था कर्म में उतनी ही धर्म में. एक संस्कार है मारवाड़ी.
भवंत जी मैं और क्या बताऊ, और क्या-क्या है मारवाड़ी.
हम अग्रवाल, शर्मा, वर्मा, शेखावत बाद में होंगे, इस सामूहिक और विशिष्ट पहचान के कारण सबसे पहले हम है - मारवाड़ी
मंच संविधान की धारा २ (उ) में "मारवाडी" शब्द को परिभाषित किया गया है, जो इस प्रकार है :-
"मारवाडी से तात्पर्य राजस्थान, हरियाणा, मालवा एवं उनके समीपवर्ती भू-भागों के रहन-सहन, भाषा एवं संस्कृति वाले वे व्यक्ति, जो स्वयं अथवा उनके पूर्वज देश या विदेश के किसी भी भू-भाग में बसे हों व अपने को मारवाडी मानते हो."
हम अपने आपको क्या कहलवाना चाहेगे अग्रवाल या मारवाड़ी, अग्रसेन महाराज या मारवाड़ से समन्धित सही मायने में यह एक बहस का मुद्दा है !
Rajesh Kumar Jain, Bhawanipatna (Orissa)
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