यह संजय सिंघानिया कौन है?
वोह सख्श है, जिसको हीरो बनाया गया घजनी फ़िल्म में । आखिर क्यो एक मारवाडी पात्र को हीरो बनाया गया, जो एक मोबाइल कंपनी का चेयरमैन है। जो आधुनिक ऑफिस में रहता है, फोरेन रिटर्न है, और एक सुन्हेरे भविष्य की कल्पना करते हुवे अपनी कंपनी को यह सदेश देता है की गर्व और घमंड में क्या फर्क है। इस देश में सिंघानिया, बजाज, बिरला, बांगुर ने उद्योग की क्रांति को सींचा है, और गर्व के साथ देश के प्रथम दस उद्योगपतियों में नाम्सुमारी की है। पर क्या यह कार्य बिना मेहनत के सम्भव हुवा था। आज हमारी स्थिति क्या है, यह हम जानते है, बेशक देश का अधिकतर व्यापार, वाणिज्य का कार्य हम संभल रहे है, पर हमारी गिनती कैसे होती है। हम में वह माद्दा है, की हम भारी से भारी रिस्क ले सकते है, पर अभी भी हम आपसी रंजिश के चलते अपनी स्थति को बरक़रार रखने में सफल नही हो सके है। क्या कोई कल्पना कर सकता है की, क्यो फ़िल्म के पात्र का नाम संजय सिंघानिया रखा गया, क्योकि, देश में सिंघानिया एक उद्योगपति का प्रतिक है। फ़िल्म के प्रोड्यूसर को एक बड़ा नाम चाहेये था, इसलिए उसने सिघानिया नाम का इस्तमाल किया, जो यह दर्शाता है, की भारत में मारवाडी लोगो के पास संपन्नता है, दिमाग है, दिल है और वे देश की आर्थिक कार्यो को संभाले हुवे है, वेह अपने होने का एह्शास दिला सकते है। हमें यह यात्रा जरी रखनी होगी, और कई संजय सिंघानिया बनाने होंगे। इस समय देश के मारवाडी समाज के बच्चो की एक नए पौध तैयार हो रही है, जो आगे चल कर इस देश का कारपोरेट हाउस को सँभालने वाली है, हमें उनका हौसला बढ़ाना है। घजनी के प्रोड्यूसर को साधुवाद की उन्होंने मारवाडी समुदाय को उनका स्थान दिखा दिया।
रवि अजितसरिया ,गुवाहाटी
raviajitsariya@rediffmail.com
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1 comment:
स्वागत है आपका, नव वर्ष की बधाई आपको
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