हेलो... सुमित, कहाँ हो? मैं ट्रेड - एक्स के बाहर हूँ, वहीँ आ जाओ.
फिर तो ये सिलसिला ही चल पड़ा, कभी ओमप्रकाश जी, रवि जी तो कभी निश्चल जी, कभी अमित गोयल, रमेश जी, भवंत और महेश जी कितनो का नाम लिखा जाये... इसके बाद शुरू हुआ परिचय का दौर आप हैं शम्भू चौधरी, आप विनोद रिंगानिया, विकाश जी और लोग जुरते ही चले गए.... कभी इनसे मिले नहीं, कभी देखा नहीं, न आवाज सुनी (अधिकतर की), एक चीज जो सब में थी- मंच की दीवानगी, हाँ बस इन्टरनेट पर मुलाकात हुआ करती है, ऐसा लगता था की हम अरसे से एक दुसरे को जानते हैं, एक दुसरे के साथ ही रहते आये हैं. ये आनंद का अतीरेक था. एक जीता - जगता उदाहरण था संवाद के दो तरफा होने का.
क्या कहा; दो तरफा संवाद...?
ये क्या होता है.... संवाद तो संवाद है, फिर ये दो तरफा....?
आज सारे विश्व में संचार क्रांति आ चुकी है, तो मंच और वृहत तौर पर समाज इससे अछूता कैसे रह सकता है और मारवाडी समाज हमेशा इसलिए अग्रसर रहा है क्योंकि इसने आगे बढ़कर परिवर्तन को स्वीकार किया है। जी हाँ.. समाचार पत्र, डाक, कूरियर, टेलीफोन, मोबाइल, एस।एम।एस., इन्टरनेट हाँ और अब ये ब्लॉग. अरे ये क्या बातों - बातों में ये पता ही नहीं चला की आप भी तो दो तरफा संवाद को स्वीकार कर चुके हैं तभी तो आप इस ब्लॉग पर हैं और मेरी इस बात के बाद अपना विचार भी रख सकते हैं, यानि मेरी बात आप तक पहुंची और आप सबकी बात मुझ तक, हमेशा सेकेंडों में...
जारी....
सुमित चमडिया
मुजफ्फरपुर
9431238161
1 comment:
सबसे मिल कर अच्छा लगा, मेरे तरफ़ से दो तरफा संवाद चिर काल के लिए जारी रहेंगा, यह मेरा वादा है.
Post a Comment
हम आपकी टिप्पणियों का स्वागत करते है.