पिछले लेख में हमने यह जाना कि पर्तिनिधि सभा हेतु प्रस्ताव किसके द्वारा और कैसे भेजा जा सकता है। आज का बिषय है- प्रस्ताव क्यों भेजे जातें हैं?
राष्ट्रीय सभा :-
सर्वप्रथम हम देखें कि राष्ट्रीय सभा भी प्रतिनिधि सभा हेतु प्रस्ताव भेज सकती है। मेरी समझ में यह नहीं आ रहा है कि ऐसे कौन से प्रस्ताव है, जिसे राष्ट्रीय सभा स्वयं पारित नहीं कर सकती है और जिन्हें सिर्फ़ प्रतिनिधि सभा ही पारित कर सकती है? यदि, आप पाठक गण इस बिषय पर रोशनी डालें तो मैं आभारी रहूँगा। ध्यान दें कि प्रतिनिधि सभा में मतदान करने का अधिकार सिर्फ़ शाखाओं के मुख्य प्रतिनिधियों को ही है।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति:-
राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति भी प्रतिनिधि सभा हेतु प्रस्ताव भेज सकती है। यहाँ भी मैं थोड़ा (?) confused हूँ कि जब रा० का० स० अपने प्रस्ताव (यदि ऐसे कोई प्रस्ताव हो जिस पर बिना रा० सभा या प्रतिनिधि सभा में पारित करवाए बिना कार्य करना सम्भव न हो तो) अपने प्रस्ताव रा० सभा में रख सकती है और रा० सभा से पारित करवा सकती है, तो फिर प्रतिनिधि सभा में प्रस्ताव रखने कि क्या आवश्यकता पड़ सकती है? किसी साथी नें बताया कि रा० सभा द्वारा rejected प्रस्ताव रा० का० स०, प्रतिनिधि सभा में रख सकती है। अगर इस बात को सही माने तो एक सवाल फिर खड़ा होता है, वो यह है कि क्या प्रतिनिधि सभा रा० सभा द्वारा अस्वीकृत प्रस्तावों पर चर्चा कर सकती है? दोनों सभाओं में मतदाताओं की तुलना करें, तो यह सवाल अप्रासंगिक नहीं रह जाता है।
शाखा
अब आते हैं शाखाओं द्वारा दिए जाने वाले प्रस्तावों पर। अधिवेशन आते ही शाखाओं पर नेतृत्व एवं वरिस्ष्ठ सदस्यों द्वारा प्रस्ताव भेजे जाने हेतु दबाब बनने कि प्रक्रिया भी शरु हो जाती है। समझ में यह नहीं आता कि प्रस्तावों को इतना महत्व राष्ट्रीय सभा के वक्त क्यों नहीं दिया जाता?
जारी
राज कुमार शर्मा
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