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Wednesday

प्रस्ताव

अधिवेशन आ रहा है। कुछ लोग अधिवेशन को पर्व मानते हैं तो कुछ लोग इसे सामूहिक चिंतन का अवसर। अपने अपने सोचने का ढंग है। आज का विषय है- अधिवेशनों में चर्चाओं में लाये जाने वाले प्रस्ताव और उनकी प्रासंगिकता।
मंच संविधान के अनुसार अधिवेशन में प्रस्ताव निम्न द्वारा दिए जा सकते हैं;
०१। राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिती
०२। राष्ट्रीय सभा
०३। प्रांतीय सभा
०४। शाखा
०५। सदस्य
राष्ट्रीय का० स० एवं राष्ट्रीय सभा अपने प्रस्ताव सीधे प्रतिनिधि सभा में रख सकती है। जबकि अन्य प्रस्ताव हेतु यह वाध्यता है कि प्रस्ताव अधिवेशन से कम से कम ७ दिनों पूर्व स्वागत समिति तक पहुँच जाए। इन प्रस्तावों को बिषय निर्वाचनी समिति के समक्ष रखा जाएगा, एवं इस समिति की बैठक में कम से कम एक तिहाई बहुमत द्वारा समर्थित प्रस्ताव ही प्रतिनिधि सभा में रखे जायेंगे। ७ दिनों की इस बाध्यता के क्षेत्र में रा० अ० को बिसेष अधिकार दिए गए हैं।
प्रतिनिधि सभा में राष्ट्रीय का० स० एवं राष्ट्रीय सभा एवं बिषय निर्वाचनी समिति द्वारा प्रेषित प्रस्तावों पर चर्चा होगी। चर्चा में हालांकी हर एक प्रतिनिधि को भाग लेने का अधिकार है, पर मतदान करने का अधिकार सिर्फ़ शाखाओं के मुख्य प्रतिनिधियों को ही है।
पर क्या इसका यह अर्थ निकला जाए कि प्रतिनिधि सभा सीधे सदन में आए प्रस्तावों पर चर्चा नहीं कर सकती ?
जारी ...
राज कुमार शर्मा

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