बी-8, मीरा नगर, चित्तौड़गढ़-312001
मायड़ भाषा म्हूं नमूं, सौ-सौ करूं प्रणाम।
जलमी राजस्थान में, राजस्थानी नाम।।
सबद ब्रह्म ज्यूं एक थूं, अक्षर रूप अनंत।
बोलै हळधर सेठिया, सायर सूरा संत।।
संत-सूर रौ हेत थूं, ज्यूं व्है छाया-धूप।
सुरसत-दुरगा मिल रच्यौ, जाणै थारौ रूप।।
एक हाथ वीणा लियां, दूजै हाथ खड़ग्ग।।
अंग सुमेरू मेरु रौ, अजयमेरु अणमोल।
अणी कनै पुष्कर जठै, गूंज्या थारा बोल।।
जुग्ग अठै ब्रह्मा कियौ, स्त्रिष्टी रचती बार।
वां रै मुख सूं थूं झरी, वेदमंत्र रै लार।।
ब्रह्मा बोल्या बोल जो, अजयमेरु री मेर।
मेरूवाणी वा बणी, बोल्या जन चौफेर।।
मेरू रम मरुथळ रमी, बोलण लग्या तमाम।
मेरूवाणी यूं धर्यौ, मरुवाणी रौ नाम।।
डिंगळ बण पिंगल बणी, भर साहित्य सुवास।
आज तलक फूलै-फळै, अजळौ है इतिहास।।
यूं संस्कृत थूं वेदरी, थूं प्राकृत अपभ्रंश।
बसै करोड़ां जीभ पै, लंबौ-चौड़ौ वंश।।
हाड़ौती ढूंढाड़ सूं, मारवाड मेवाड़।
वागड़ सूं मेवात तक, थारी सिंध दहाड़।।
वात ख्यात सर वचनिका, रासौ वेलि विलास।
वाणी साखी सतसई, हरजस चरित्र प्रकास।।
शतक पचीसी बावनी, कतरा लेऊं नाम?
जस गुण लूंठी सामरथ, भाषा थनै प्रणाम।।
श्री ज्यूं वर दै शांति में, जंग बगत जगदंब।
सिरजण दोन्यूं में करां, थरपां कीरत थंब।।
[script code: rajasthani poem]
1 comment:
राजस्थानी कविता देख कर मजो अग्यो
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