अनिल जी का पुनः स्वागत है, कहना शायद ग़लत होगा, क्योंकि अनील जी गए ही कहाँ थे। अपना कोई साथी नाराज हो जाए या रूठ जाए तो उसे जाना नही कहते। पर एक बात जरूर कहना चाहूँगा की अनील जी को आज वापस इस ब्लॉग पर लिखते देख कर मैं अपार खुशी महसूस कर रहा हूँ।
उड़ीसा से भाई भवंत अगरवाल ने एक प्रत्याशी विशेष के पक्ष में इस ब्लॉग पर अपनी पोस्ट के माध्यम से अपील की थीकोई कारन नही लगा कि मैं उनके इस पोस्ट को ग़लत कहूं, हटाऊँ या संशोधित करुँ लेकिन मुझे यह भी लगा कि यदि इस ब्लॉग में किसी एक प्रत्याशी विशेष के पक्ष में अपील जारी हो सकती है तो अन्य प्रत्याशी इससे महरूम क्यों रहें। इसी भावना के तहत मैंने यह निम्न टिपण्णी लिखी- "राष्ट्रीय अध्यक्ष के किसी भी प्रत्यासी के समर्थन में आप लोग कुछ भी लिखना चाहें तो सदर आमंत्रित हैं। चाहें तो मेल कर सकते है."
मेरे इस टिपण्णी एक गुमनाम टिपण्णी आयी जो यूँ थी - "अजातशत्रुजी का भवंतजी की अपील के समर्थन मे और लोगों का स्वागत करना एक अस्वस्थ परम्परा की सुरुआत है बेहतर तो ये होता कि कोई तीनो (सक्रिय) प्रत्यासियो के कार्यकाल की एक तुलनात्मक कार्यसमीक्षा लिखता तो सभी के लिये मार्गदर्शक होता।" (गुमनाम होने के कारण यह टिपण्णी प्रकाशित नही की गयी है)
इस सम्बन्ध में आगे ब्लॉग का रुख क्या होना चाहिए इस सम्बन्ध में आप सब की राय जानना चाहूँगा।
अजातशत्रु
नए संदेश
Sunday
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment
हम आपकी टिप्पणियों का स्वागत करते है.