क्या मारवाडी युवा मंच अपने गौरवशाली अतीत को बिसराते जा रहा है? क्या मंच के सुनहरे भविष्य को कोई ग्रहण लगने जा रहा है? क्या ये दोनों प्रश्न आज के तारीख में विचारणीय नहीं है? सवाल अनुत्तरित सवाल ही बन कर रह जाता है। जबकि समाधान सहज है, सरळ है, अगर हम नजर दौडालें अपने गौरवशाली अतीत की और या फिर देखे सुनहले भविष्य की और। मंच का नवं राष्ट्रीय अधिवेशन होने जा रहा है- यानि की मंच गतिशील है, इसके कदम आगे बढ़ रहे हैं। यह भावः हम मंच साथियों को अपार खुशी देता है।
मंच का अपना दर्शन अंगद के पैर की तरह दृढ़ है, मजबूत है। इसी में मंच का अतीत, वर्तमान और भविष्य झलकता है। मंच के सूत्र २१वी सदी में भी उतने ही प्रासंगिक है जितने की २०वी सदी में थे। जरूरत इस बात की है की साथी-गण इन सूत्रों का सहारा लेकर मंच को हर स्तर पर सतत गतिशील रखे। इन सूत्रों से कहीं हम भटक न जायें।
हजारों युवा साथियों की अलग अलग मंशाएं होती है, उनके अपने अपने विचार होते है। मंच को शीर्ष स्तर पर देखने की अदम्य आकांक्षा भी इन साथियों के मन में कुलांचे भरती रहती है, अतः हर एक साथी अपने अपने स्तर पर अपने अपने सामर्थ्य के अनुसार कार्य करते रहता है। मंच दर्शन, विचार और चिंतन भी इन्ही भावनाओं से परिपुष्ट है, मरते हुवे इंसान को दिए जा रहे ओक्सीजन की तरह। मंच का युवा वर्ग मंच दर्शन के अनुसार ही अलग अलग सपने देखता है, और अपनी क्षमता के अनुसार किसी एक दिशा का चयन कर उसी दिशा में आगे बढ़ने हेतु प्रयासरत रहता है।
जारी -
किशोर काला
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