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कलियुगी रावण का खात्मा करें।


श्री नन्दकिशोर अग्रवाल
प्रान्तीय अध्यक्ष, झारखंड मारवाड़ी युवा मंच


वर्तमान परिदृश्य में युवा समाज ही पूरे देश के भविष्य एवं विकास की आधारशिला है, क्योंकि युवा समाज ही बच्चों एवं बुजुर्गों के बीच सेतु का काम कर एवं सामंजस्य बनाकर राष्ट्र को प्रगति के मार्ग पर ले जा सकती है। अतीत में हमारे पूर्वजों द्वारा राष्ट्र को दिए गए धरोहर, संस्कृति, इतिहास, सामाजिक सम्मान। जिसकी रक्षा करना आज के युवा वर्ग की जिम्मेदारी है। आज का आधुनिक समाज अतीत को भूलता जा रहा है। क्योंकि जो कुछ भी पाया है एवं जैसे हम निर्बाध गति से प्रगति की ओर अग्रसर हैं, यह सब अतीत के प्रयासों का ही परिणाम है। हमें सिर्फ उसमें गति प्रदान करनी है, साथ ही वर्तमान परिदृश्य के अनुरूप निखार लाना है।
आज हम सभी अपने कार्यों में या अपने मतलब की चीजों में इतने व्यस्त हो गए हैं कि हम भूल रहे हैं कि हमारा जन्म क्यों हुआ? दुनिया की चकाचौंध में हम अपने जन्म लेने के मकसद से भटक गए हैं। हम सभी जी रहे हैं सिर्फ और सिर्फ अपने लिए, किन्तु आज आवश्यकता है कि हमें अपने से बाहर निकलकर समाज एवं राष्ट्र के लिए भी चिंतन करना चाहिए। कुछ समय समाज एवं राष्ट्र के लिए देना निहायत ही जरूरी है, क्योंकि समाज हम और आप से ही बनता है। समाज स्वस्थ रहेगा तो हम सुखी रह पाएंगे। इसलिए मेरा आप सब से नम्र निवेदन है कि अपने व्यस्तम समय से कुछ समय समाजहित एवं जनहित के लिए अवश्य देने का प्रयास करें। हमारे द्वारा लगाया गया पौधा हमारी आनेवाली पीढ़ियों के लिए फलों का वृक्ष होगा। हम पौधा जिस वातावरण में लगाएंगे एवं पौधा जिस वातावरण में बढ़ेगा, फल उसी हिसाब से हमारी आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा।
परन्तु पाश्चात्य संस्कृति का समावेश हमारे समाज के रीति-रिवाजों में सेंध मारने का प्रयास रही है। बुढ़े-बुजुर्गों को आत्म सम्मान देने में कमी, रहन-सहन व खान-पान में विदेश से आयायित सामग्रियों का उपयोग, परस्पर आगे बढ़ने के लिए अनैतिक कार्यों को अजाम देना। इन सब का खामियाजा आने वाली पीढ़ी को भुगतना पड़ेगा। पूर्वजों द्वारा दिए गए संस्कारों का पालन नहीं हो पा रहा है, इससे पारिवारिक समस्याएं उत्पन्न हो रही है। आधुनिकता के इस दौर में अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक न होकर इस्टैंट फुड पर आश्रित होती जा रही है। इस भाग दौड़ की जिन्दगी में अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बरती जा रही है। इसका दुष्परिणाम आज का समाज और हम भुगतेंगे। स्वस्थ समाज की परिकल्पना धरी की धरी रह जाएगी। अतः वैश्विक स्तर पर राष्ट्र की छवि को सुधारने हेतु स्वयं में व्याप्त कलियुगी रावण को खत्म करना होगा एवं समाज के विकास के प्रति हमें पूरी ईमानदारी के साथ कार्य करना होगा। सामाजिक हित के कार्य में अपने को संलग्न कर समाज के लिए कुछ करना होगा। ताकी आनेवाली पीढ़ी को इसका लाभ मिल सके।[end. script code: samaj vikas]

1 comment:

रवि अजितसरिया said...

नंदकिशोर जी के उदगार पढ़े, अच्छे है. बदलाव के दौर में हम अपने रिश्तो को अगर सही मायने में बचा पाए तब सही मायने में हमारी जीत होंगो, क्योंकि, बाजारवाद ने हर रिश्तों को ताक़ पर रख दिया है. अब हमारी सोच बदल रही है, मानवीय मूल्यों का र्रहास हो रहा है. जिंदगिया सस्ती हो रही है और जीवन महंगा हो रहा है.

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