अपेक्षाएं तो कई हैं, बात हैं रास्ट्रीय अध्यक्ष की priorities की. संगठन के व्यापक स्तर को देखते हुए ये अत्यन्त जरुरी है की कार्यालय का management पूर्णकालिक प्रोफेशनल मनेज़र्स को दिया जाए ताकि लीडरशिप संगठन के अन्य कार्यो मैं अपना योगदान दे सके. दैनिक कार्यो के संपादन का बोझ न हो तो लीडरशिप कर्योक्रमो और संगठन विस्तार पर अपना पुरा ध्यान केंद्रित कर सकेगा.
प्रमोद जी ने बिल्कुल सही बात कही है। जिन लोगों ने झुंझुनू की राष्ट्रीय सभा में भाग लिया था, उन्हें याद होगा की जब राष्ट्रीय शुल्क को १०० रु. से बढाकर २०० रु. किया गया तो राष्ट्रीय नेतृत्व ने राष्ट्रीय सभा में यह तर्क दिया था की मंच में प्रोफेशनल मैनेजर्स और क्वालीफाइड स्टाफ रखने, इत्यादि कार्यालय व्ययों के लिए राष्ट्रीय शुल्क में बढोत्तरी आवश्यक है। जिस कार्यकारिणी ने यह फ़ैसला लिया वह अपने वादे को तो नहीं निभा सकी, हाँ, राष्ट्रीय शुल्क में बढोत्तरी कर साधारण सदस्यों पर अतिरिक्त भार अवश्य दे गयी। अब नए नेतृत्व से यह अपेक्षा रहेगी की मंच में प्रोफेशनल मैनेजर्स को लायें, ताकि मैनेजमेंट बेहतर हो सके, अभी जो ऑफिस स्टाफ है, उनसे शाखाएं अथवा सदस्य कितने संतुष्ट है ये तो हर कोई जानता है। - विकास मित्तल
२१वि सदी में किसी भी कार्यालय में अगर कंप्यूटर, इन्टरनेट और इ-मेल का प्रयोग न हो रहा हो तो ये एक विस्मय की बात हो सकती है। ये एक दुर्भाग्य है की १५ साल के प्रयास के बाद भी हमारे कार्यालय का कम्प्युतिकरण का काम अधुरा है। पता नही कितनी बार सॉफ्टवेर बना है और रिजेक्ट हो गया है, पता नही कितनी बार वेबसाइट बनी है और defunct हो गई है। नए नेतृत्व से अपेक्षा है की वो ये टारगेट ले की तीन साल के दौरान राष्ट्रीय कार्यालय और प्रांतीय कार्यालय को निश्चित रूप से पूर्ण कम्प्युतिकरण करें और इनका आपस का पत्राचार compulsorily इ-मेल से ही हो। प्रमोद कु जैन
लगभग एक सप्ताह हुआ ये परिचर्चा शुरू हुए लेकिन अभी तक जिस संख्या में विचार आए हैं उससे लगता नही की ब्लॉग रीडर ज्यादा उत्साहित हैं इस परिचर्चा को लेकर. अन्य विषयों पर काफ़ी विचार प्रवाह हो रहा हैं. इससे जन पड़ता हैं ब्लॉग के रीडर अन्यान्य बातो में जयादा रूचि रखते हैं बनिस्पत मंच को नई दिशा देने में. बड़े ही अफसोश की बात हैं ये.
आदरणीय श्री प्रमोद जी [जैन] आपने सही लिखा लगभग एक सप्ताह हुआ ये परिचर्चा शुरू हुए लेकिन अभी तक जिस संख्या में विचार आए हैं उससे लगता नही की ब्लॉग रीडर ज्यादा उत्साहित हैं इस परिचर्चा को लेकर. अन्य विषयों पर काफ़ी विचार प्रवाह हो रहा हैं. इससे जान पड़ता हैं ब्लॉग के रीडर अन्यान्य बातो में जयादा रूचि रखते हैं वनिस्पत मंच को नई दिशा देने में. बड़े ही अफसोस की बात हैं ये" नई दिशा कहाँ से शुरू की जाय जबतक हमारा स्वार्थ पूरा नहीं होगा, हम नई दिशा देने में सक्षम है ही नहीं। बंगाल प्रान्त के चुनाव हुए दो माह हो गये नई कार्यकारिणी नहीं बनाई जा सकी। कौन इसका गठन करेगा यह नवनिर्वाचित प्रनतीय अध्यक्ष को पता नहीं है शायद इसी लिये वे किसी के उत्तर का इन्तजार कर रहें हैं। नव निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष जी ने तो अपने प्रथम उदबोधन में ही कह दिया की अब तक मंच के आठ स्तम्भ थे जो अब '9' हो गयें जो स्तम्भ हो गये हैं, उनसे कार्य की उम्मीद कैसे की जा सकती? आपको पता ही होगा कि अभी तक नई कार्यकारिणी के गठन की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो पाई है फिर ऐसे गम्भीर मुद्दे पर कोई अपनी राय कैसे दे। परिचर्चा का विषय जो हमलोगों ने चुना हैनव निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष से अपेक्षाएं इनसे हम पहली अपेक्षा तो ये रखतें हैं कि वे जल्द से जल्द अपनी टीम की घोषणा करते जो अति विलम्ब हो चुका है। - शम्भु चौधरी, कोलकाता -9831082737
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से मेरी कुछ अपेक्षाएं हैं, जो मुख्यतः मंच में सूचना तकनीक के उपयोग से जुड़ी हैं - मंच की आधिकारिक वेबसाइट मायुम.कॉम को निरंतर अपडेट किया जाए. इस पर ऐसा कुछ भी नहीं की विसिटर्स को लाभ हो. अतः इस पर अधिकाधिक सूचनाओ का समावेश हो - यथा- (1) राष्ट्रीय, प्रांतीय एवं शाखा गतिविधियाँ (२) मंच साहित्य एवं राजस्थानी साहित्य (३) मंच का आधिकारिक ब्लॉग, जिसके एडमिनिस्ट्रेशन का अधिकार किसी राष्ट्रीय संयोजक या राष्ट्रीय उपाध्यक्ष को दिया जाए (४) मंच के सभी सदस्यों की शाखावार सूची, व्यावसायिक विवरण के साथ (मंच सदस्यों को अपनी व्यावसायिक संभावनाओ को तलाशने में मदद मिले) (५) संपर्क योजना के तहत प्राप्त सभी समाज बंधुओं की सूची (ताकि प्रांतीय नेतृत्व को नई शाखाएं खोलने एवं शाखाओं को नए सदस्य जोड़ने में सुविधा मिले) (६) मासिक प्रतिवेदन को ऑनलाइन भेजने की सुविधा (ईमेल नहीं, डाटाबेस में) - सूचनाओं का तीव्र आदान प्रदान होगा, एवं स्टेशनरी तथा डाक-व्यय की बचत होगी (७) व्यापार, व्यवसाय, निवेश एवं तकनीक सम्बंधित नवीन सूचनाओं का समावेश (ब्लॉग के रूप में, वैसे इस क्षेत्र में कई एक्सपर्ट अपनी सेवाएँ निशुल्क देने को तैयार भी रहते हैं) (८) शाखाओं के लिए सांगठनिक कार्यशालाओ हेतु ट्रेनर्स द्वारा टिप्स एवं वरिष्ठ और अनुभवी मंच बंधुओ द्वारा मार्गदर्शन (इसे भी एक अलग ब्लॉग द्वारा मुख्य वेबसाइट से लिंक किया जा सकता है)
- अनिल वर्मा, पटना सिटी मोबाईल 9835285596, 9334116711 email : anilverma3@gmail.com
मेरा मानना है की सबसे पहले नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपनी कार्यकारिणी का गठन करना चाहिए क्योकि उनसे अपेक्षाए इस बात पर निर्भर करती है की उनके सहयोगी कैसे है .... हर संगठन का अपना एक प्रथम नागरिक होता है और सभी की उनसे अपेक्षाए रहती है हमारी उनसे यही अपेक्षा है की पहले जो अधूरे काम है सबसे पहले उनको प्राथमिकता दी जाए .... सबसे पहला काम हो मंच की वेबसाइट को दुरुस्त करने का सभी प्रांतीय इकाई को साथ लेकर काम किया जाए कभी कभी ये सुनने को मिलता है की हमारा राष्ट्रीय अध्यक्ष से सीधे संपर्क नही है तो मंच में ऐसी स्थिति पैदा न हो मंच के सभी मेंबर का राष्ट्रीय अध्यक्ष से सीधे सम्पर्क हो बाकि बातें बाद में ......
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अपेक्षाएं तो कई हैं, बात हैं रास्ट्रीय अध्यक्ष की priorities की. संगठन के व्यापक स्तर को देखते हुए ये अत्यन्त जरुरी है की कार्यालय का management पूर्णकालिक प्रोफेशनल मनेज़र्स को दिया जाए ताकि लीडरशिप संगठन के अन्य कार्यो मैं अपना योगदान दे सके. दैनिक कार्यो के संपादन का बोझ न हो तो लीडरशिप कर्योक्रमो और संगठन विस्तार पर अपना पुरा ध्यान केंद्रित कर सकेगा.
प्रमोद जी ने बिल्कुल सही बात कही है। जिन लोगों ने झुंझुनू की राष्ट्रीय सभा में भाग लिया था, उन्हें याद होगा की जब राष्ट्रीय शुल्क को १०० रु. से बढाकर २०० रु. किया गया तो राष्ट्रीय नेतृत्व ने राष्ट्रीय सभा में यह तर्क दिया था की मंच में प्रोफेशनल मैनेजर्स और क्वालीफाइड स्टाफ रखने, इत्यादि कार्यालय व्ययों के लिए राष्ट्रीय शुल्क में बढोत्तरी आवश्यक है।
जिस कार्यकारिणी ने यह फ़ैसला लिया वह अपने वादे को तो नहीं निभा सकी, हाँ, राष्ट्रीय शुल्क में बढोत्तरी कर साधारण सदस्यों पर अतिरिक्त भार अवश्य दे गयी।
अब नए नेतृत्व से यह अपेक्षा रहेगी की मंच में प्रोफेशनल मैनेजर्स को लायें, ताकि मैनेजमेंट बेहतर हो सके, अभी जो ऑफिस स्टाफ है, उनसे शाखाएं अथवा सदस्य कितने संतुष्ट है ये तो हर कोई जानता है।
- विकास मित्तल
२१वि सदी में किसी भी कार्यालय में अगर कंप्यूटर, इन्टरनेट और इ-मेल का प्रयोग न हो रहा हो तो ये एक विस्मय की बात हो सकती है। ये एक दुर्भाग्य है की १५ साल के प्रयास के बाद भी हमारे कार्यालय का कम्प्युतिकरण का काम अधुरा है। पता नही कितनी बार सॉफ्टवेर बना है और रिजेक्ट हो गया है, पता नही कितनी बार वेबसाइट बनी है और defunct हो गई है।
नए नेतृत्व से अपेक्षा है की वो ये टारगेट ले की तीन साल के दौरान राष्ट्रीय कार्यालय और प्रांतीय कार्यालय को निश्चित रूप से पूर्ण कम्प्युतिकरण करें और इनका आपस का पत्राचार compulsorily इ-मेल से ही हो।
प्रमोद कु जैन
लगभग एक सप्ताह हुआ ये परिचर्चा शुरू हुए लेकिन अभी तक जिस संख्या में विचार आए हैं उससे लगता नही की ब्लॉग रीडर ज्यादा उत्साहित हैं इस परिचर्चा को लेकर. अन्य विषयों पर काफ़ी विचार प्रवाह हो रहा हैं. इससे जन पड़ता हैं ब्लॉग के रीडर अन्यान्य बातो में जयादा रूचि रखते हैं बनिस्पत मंच को नई दिशा देने में. बड़े ही अफसोश की बात हैं ये.
आदरणीय श्री प्रमोद जी [जैन]
आपने सही लिखा लगभग एक सप्ताह हुआ ये परिचर्चा शुरू हुए लेकिन अभी तक जिस संख्या में विचार आए हैं उससे लगता नही की ब्लॉग रीडर ज्यादा उत्साहित हैं इस परिचर्चा को लेकर. अन्य विषयों पर काफ़ी विचार प्रवाह हो रहा हैं. इससे जान पड़ता हैं ब्लॉग के रीडर अन्यान्य बातो में जयादा रूचि रखते हैं वनिस्पत मंच को नई दिशा देने में. बड़े ही अफसोस की बात हैं ये" नई दिशा कहाँ से शुरू की जाय जबतक हमारा स्वार्थ पूरा नहीं होगा, हम नई दिशा देने में सक्षम है ही नहीं। बंगाल प्रान्त के चुनाव हुए दो माह हो गये नई कार्यकारिणी नहीं बनाई जा सकी। कौन इसका गठन करेगा यह नवनिर्वाचित प्रनतीय अध्यक्ष को पता नहीं है शायद इसी लिये वे किसी के उत्तर का इन्तजार कर रहें हैं। नव निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष जी ने तो अपने प्रथम उदबोधन में ही कह दिया की अब तक मंच के आठ स्तम्भ थे जो अब '9' हो गयें जो स्तम्भ हो गये हैं, उनसे कार्य की उम्मीद कैसे की जा सकती? आपको पता ही होगा कि अभी तक नई कार्यकारिणी के गठन की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो पाई है फिर ऐसे गम्भीर मुद्दे पर कोई अपनी राय कैसे दे। परिचर्चा का विषय जो हमलोगों ने चुना हैनव निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष से अपेक्षाएं इनसे हम पहली अपेक्षा तो ये रखतें हैं कि वे जल्द से जल्द अपनी टीम की घोषणा करते जो अति विलम्ब हो चुका है।
- शम्भु चौधरी, कोलकाता -9831082737
माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से मेरी कुछ अपेक्षाएं हैं, जो मुख्यतः मंच में सूचना तकनीक के उपयोग से जुड़ी हैं -
मंच की आधिकारिक वेबसाइट मायुम.कॉम को निरंतर अपडेट किया जाए. इस पर ऐसा कुछ भी नहीं की विसिटर्स को लाभ हो. अतः इस पर अधिकाधिक सूचनाओ का समावेश हो -
यथा-
(1) राष्ट्रीय, प्रांतीय एवं शाखा गतिविधियाँ
(२) मंच साहित्य एवं राजस्थानी साहित्य
(३) मंच का आधिकारिक ब्लॉग, जिसके एडमिनिस्ट्रेशन का अधिकार किसी राष्ट्रीय संयोजक या राष्ट्रीय उपाध्यक्ष को दिया जाए
(४) मंच के सभी सदस्यों की शाखावार सूची, व्यावसायिक विवरण के साथ (मंच सदस्यों को अपनी व्यावसायिक संभावनाओ को तलाशने में मदद मिले)
(५) संपर्क योजना के तहत प्राप्त सभी समाज बंधुओं की सूची (ताकि प्रांतीय नेतृत्व को नई शाखाएं खोलने एवं शाखाओं को नए सदस्य जोड़ने में सुविधा मिले)
(६) मासिक प्रतिवेदन को ऑनलाइन भेजने की सुविधा (ईमेल नहीं, डाटाबेस में) - सूचनाओं का तीव्र आदान प्रदान होगा, एवं स्टेशनरी तथा डाक-व्यय की बचत होगी
(७) व्यापार, व्यवसाय, निवेश एवं तकनीक सम्बंधित नवीन सूचनाओं का समावेश (ब्लॉग के रूप में, वैसे इस क्षेत्र में कई एक्सपर्ट अपनी सेवाएँ निशुल्क देने को तैयार भी रहते हैं)
(८) शाखाओं के लिए सांगठनिक कार्यशालाओ हेतु ट्रेनर्स द्वारा टिप्स एवं वरिष्ठ और अनुभवी मंच बंधुओ द्वारा मार्गदर्शन (इसे भी एक अलग ब्लॉग द्वारा मुख्य वेबसाइट से लिंक किया जा सकता है)
- अनिल वर्मा, पटना सिटी
मोबाईल 9835285596, 9334116711
email : anilverma3@gmail.com
मेरा मानना है की सबसे पहले नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपनी कार्यकारिणी का गठन करना चाहिए क्योकि उनसे अपेक्षाए इस बात पर निर्भर करती है की उनके सहयोगी कैसे है .... हर संगठन का अपना एक प्रथम नागरिक होता है और सभी की उनसे अपेक्षाए रहती है
हमारी उनसे यही अपेक्षा है की पहले जो अधूरे काम है सबसे पहले उनको प्राथमिकता दी जाए .... सबसे पहला काम हो मंच की वेबसाइट को दुरुस्त करने का
सभी प्रांतीय इकाई को साथ लेकर काम किया जाए कभी कभी ये सुनने को मिलता है की हमारा राष्ट्रीय अध्यक्ष से सीधे संपर्क नही है तो मंच में ऐसी स्थिति पैदा न हो मंच के सभी मेंबर का राष्ट्रीय अध्यक्ष से सीधे सम्पर्क हो
बाकि बातें बाद में ......
आशीष बोंदिया
मनेन्द्रगढ़
+91 9977122227
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