क्या है इन अधिवेशनों में, जो हम इसका आयोज़न इतने वृहत स्तर पर करते है। अगर कोई कहे कि, अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव को aधिवेशन से हटा दे तब उसमे क्या उत्तेज़ना रह जायेगी, तो क्या हम उसकी बातो को मान लेंगे। शायद नही, इसमे कोई दो राय नही है कि, कुछ युवा अधिवेशन में स्रिफ चुनाव के लिए ही जाते है , पर एक बड़ा तबका कुछ नया जानने के लिए भी जाता है,एक नया अहसास उसे कही भी नही मिलता। राष्ट्रीय अधिवेशन में जब पुरे देश से दो हजार से भी ज्यादा प्रतिनिधि आते है, तब युवा उर्जा का एक नया समावेश पैदा होता है, जिसमे कुछ नया करने का वादा और नए लक्ष्य भी शामिल रहते है। कुछ युवा स्कूली बच्चो कि तरह करने लगते है। लम्बी रेल्ली में भाग लेते है, गाना गाते हुवे, नाचते हुवे, नई पोशाक पहन कर। । उन्मुक्त सत्र में ऐसे लड़ते है, कि मास्टरजी को सभी की जबान बंध करने का आदेश देना पड़गा है। यह सब दुसरी जगह कहा दिखाई देंगा । यहाँ युवा मंच में हम सब युवा अपने मंच के लिए एकत्र होते है, और उसके उथान के लिए, उसके नए सफर के लिए एक नए तय्यारी शुरु करते है। अगर प्रांतीय और राष्ट्रीय अधिवेशन नही होए तब, युवाओ में जरूरत से ज्यादा आक्रोश पैदा हो सकता है, जो संगठन के लिए अच्छा नही भी हो सकता है। अधिवेशन हमारे लिए एक माहोल तैयार करताहै, जीस्स्से हम अगले तीन वर्षो के लिए उर्जावान बने रहते है। आइये अब बात करते है के अधिवेशनों के लिए क्या हमारे युवा प्रयाप्त तय्यारी कर के जाते है। मुझे मालूम है कि कुछ युवा अधिवेशनों के लिए भरपूर तय्यारी कर के जाते है, पर ऐसी कई शाखाओ में अधिवेशनों पर ज्यादा चर्चा भी नही होती है। इसके लिए क्या कदम उठाये जाए कि , हम अधिवेशनों में युवाओ की अधिक भागीदारी सुनिषित कर सके । हर सत्र में कुर्शिया न बचे बैठने को। हर सत्र में पीठासीन अधिकारी परेशां हो जाए,, और एक नयी आवाज़ अधिवेशन स्थल से आए । अधिवेशन के लिए बातें बहुत है करने के लिए। अपने मुक्त विचारो को यहाँ लिख डालिए, ताकी आने वाला अधिवेशन एक यादगार अधिवेशन बन जाए, जिसकी गूँज सदियों तक सुने पड़े ।
रवि अजितसरिया
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