कई दफा यह देखने में आता है, कि, शाखाएँ हर कार्य तैयार किया हुवा चाहती है, और वह प्रान्त और राष्ट्र कार्यालय के उपर निर्भर हो जाती है। इसे हम कहते है, 'फीडिंग' जिसके नकारत्मक परिणाम भी होते है। राष्ट्रीय कार्यालय हमे कार्यक्रम करने के लिए उचित मार्गदर्शन देता है, वही हमे शाखा के अंदर सद्स्श्यो के अंदर आत्मविश्वास भी पैदा करना होता है, ताकी किसी भी किस्म की टिप्पणिया निकल कर नही आए। कार्यक्रम चाहे कैसे भी हो, पर उसका नियंत्रण शाखाओ के पास ही रहना चाहिए । तभी स्थानीय स्तर पर प्रश्नों के जबाब दिए जा सकते है। बड़े राष्ट्रीय कार्यक्रमों की बागडोर रास्ट्रीय संजोयक के पास रहती है, क्योंकी, येह बड़े स्तर पर आयोजित किए जाते है। हमे अपने सदस्यो को कायक्रम शुरू करने के पहले विस्वास में लेने की कोशिश करनी चाहिये, जिससे आलोचनाओ से बचा जा सके। जारी ........
रवि अजितसरिया,
गुवाहाटी
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