जब कोई भी संस्था इतनी बड़ी हो जाती है कि, उसके द्वारा किया हुवा प्रत्येक कार्य उसका मुख्य कार्य सा दिखाई पड़ने लगता है। सुखद स्तिथि यह है कि, हमारे पास अपना संविधान है, अपना दर्शन है। जिसके अनुरूप हम कार्य करते है। समय समय पड़ हम अपने प्रोजेक्ट स्थान और समय अनुरूप करते है। पर जब संस्था के प्रोजेक्ट समाज के स्वार्थ सिद्धि के अनुरूप नही होते तब वे अपना महत्व खो बैठते है। अभी हम ऐसी जगह खड़े है, जहा से कई रस्ते जाते है। कुछ अंतरास्ट्रीय संस्था की तरफ़ जाते है, तो कुछ हमारे राजनेताओ के स्वार्थ्सिधि की तरफ़ हमे ले जाते है। कुछ रस्ते हमे आनंद देने वाले होते है। हम आसानी से उन पर चल देते है। पर यह अभी तक तय नही है कि युवा मंच को कौन से कार्यक्रमों को प्राथमिकता देनी चाहिए, जबके हमे हमारे संविधान ने हमें हर कार्य को करने या न करने कि छुट दे राखी है । पर हमें यह नजर नही आता, और हम उन कार्यक्रमों को हाथ में लेने लग जाते है, जिन से समाज का कोई हित नही होता, पर आयोजको को इसमे भरी खुसी होती है, और कार्यक्रम आयोजित हो जाता है.....जारी......
रवि अजितसरिया,
गुवाहाटी
नए संदेश
Sunday
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment
हम आपकी टिप्पणियों का स्वागत करते है.