सोनीजी गुवाहाटी आए और हमें भी उनसे बातचीत करने का सौभाग्य मिला। कभी मिलने का भी सौभाग्य मिलेगा।
जो भी हो, हम मुद्दे की बात पर आएँ। क्या यह अच्छा नहीं हो कि अध्यक्ष पद के सभी र अपने-अपने घोषणा पत्र इस ब्लाग के जरिए मंच के साथियों तक पहुंचाए। इससे एक स्वस्थ बहस की शुरूआत होगी।
कौन से कार्यक्रम लेने चाहिए इस पर एक बहस शुरू हो सकती है।
एक बात, राजस्थान और हरियाणा के साथ प्रवासियों के साथ ज्यादा जीवंत और राजनीतिक संपर्क कहां तक जरूरी हैं और वे कैसे बनाए जा सकते हैं? साथी क्या सोचते हैं?
विनोद रिंगानिया
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प्रश्न सटीक भी है और सामायिक भी. राजस्थान और हरियाणा के साथ जीवंत और राजनैतिक संपर्क अत्यन्त जरूरी है. प्रवासी/ मारवाड़ी का लेबल हम पर से उतरने वाला नहीं है. क्षेत्रीयवाद के भेष में जो एक नया आतंक प्रकासी समाज के सामने आ रहा है, उसे देखते हुवे अपने पूर्वजो के मूल स्थान से जीवंत संपर्क अत्यन्त ही जरूरी है.
रही बात मंच के शीर्ष पड़ के पद के उम्मीदवारों द्वारा घोषणा पत्र इस ब्लॉग द्वारा साथियों तक पाहूंचाने की, माफ़ कीजिएगा विनोद जी मुझे नहीं लगता कि वी ऐसा करेंगे या उन्हे ऐसा करने दिया जाएगा.
ज़रा सोचिए , बिनोद जी, आप असम और बंगाल के अलावा और कितने मंच साथियों को जानते हैं जो कि मंच पर कुच्छ लिखते हैं? या फिr असम और बेंगाल में ही पीछले १५-२० सालों में ऐसे कितने लेखक सामने आए हैं? अनुरोध करूँगा कि आप अपने अगले लेख में इस शून्यता और इसके कारण पर अपनी लेखनी चलाएँगे.
Manoj Agarwala, Guwahati
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