यह एक प्रस्ताव की रूप रेखा मेरे सामने भी आयी है, और मुझे लगता है कि व्यक्तिगत स्तर पर मुझे इस प्रस्ताव को सही मानना चाहिए। प्रस्ताव की रूप-रेखा यूँ है:-
मारवाडी समाज हमेशा से दानवीर समाज रहा है। देश के ज्यादातर शहरों, नगरों और कस्बों में हमारे समाज कि दानशीलता की निशानियाँ देखने को मिलती हैं। स्थायी और अस्थायी, सभी तरह के जन-सेवा कार्यो में यह समाज अग्रणी रहता आया है। लेकिन अफ़सोस यह है कि इस समाज द्वारा की गयी जन-सेवा का लेखा जोखा कभी नहीं बन पाया। आज जब कि नेताओं के आँखों में उंगली डाल कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का जमाना है, हमें कम से कम अपने समाज के योगदान का लेखा - जोखा तो समय समय पर राज नेताओं के समक्ष रखने की तैयारी तो रखनी चाहिए। मंच यदि अपना infrastructure और internet का सही व्यवहार करे तो यह कार्य मुश्किल भले ही हो असंभव नहीं है।
प्रस्ताव यूँ हो सकता है:-
मंच, मारवाडी समाज द्वारा पुरे देश में की जा रही जन सेवा कार्यो का एक data bank बनाने की दिशा में कार्य करेगा। इस data bank में स्थाई और अस्थायी, सभी प्रकार के प्रकल्पों का पूर्ण लेखा जोखा रखने का प्रयास किया जायेगा।
सभी पाठकों से अनुरोध है कि इस प्रस्ताव पर अपनी टिपण्णी अवश्य दें और यदि आप भी किसी प्रस्ताव के बारे में सोच रहें हैं, तो कृपया उस पर भी लिखें।
ओमप्रकाश
2 comments:
प्रस्तावों के सम्बन्ध में मेरी एक जिज्ञासा है. साधारणतः विषय निर्वाचनी समिती द्वारा प्रेषित विषयों पर ही प्रतिनिधि सभा में विचार विमर्श होता है. इस विचार विमर्श को ज्यादा सार्थक बनने के लिए क्या यह उचित नही होगा कि ऐसे प्रस्ताव शाखाओं को पहले ही भेज दिए जाए, ताकि प्रतिनिधि उन पर अपना मानस पहले से बना सके?
यदि यह सम्भव न भी हो तो क्या इन प्रस्तावों का विवरण २५ दिसम्बर को अधिवेशन स्थल पर ही प्रतिनिधियों को देना अनुचित होगा?
SHANKAR AGARWAL
इस सन्दर्भ में श्रधेय श्री प्रमोद सराफ जी द्वारा दो दशक पहले लिखी गयी चंद पंक्तियाँ उधृत करना चाहूँगा:-
दुर्भाग्य है कि राष्ट्रहित के लिए गए समाज के इस महत्वपूर्ण योगदान को समाज की युवा पीढी भी पुर्णतः परिचित नहीं। जन कल्याणार्थ जितना कार्य इस समाज ने किया है, उसके आंकडे यद्यपि उपलब्ध नहीं परन्तु यदि इन्हे संकलित किया जाए तो शायद समाजवादी और साम्यवादी सरकारें भी आश्चर्यचिकित हो जाए। मंच के प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन के ऐतिहासिक अवसर पर इस सन्दर्भ में शोध कार्य हेतु लिया गया प्रस्ताव बहुत ही सराहनीय है लेकिन इस शोधकार्य का उद्देश्य ताज पहनना नहीं बल्कि कल्याणकारी प्रवृतियों को प्रोत्साहन देना होना चाहिए।
अजातशत्रु
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