इसी ब्लॉग में पढ़ा था कि गुवाहाटी में पिछले एक बर्ष में जितने भी नेत्रदान किए गए, उसमें ७५% नेत्रदाता मारवाडी थे। कल LIONS EYE HOSPITAL में इस बात की पुष्टि भी हो गयी। यही हाल रक्त दान के क्षेत्र में भी है। मेरा अनुमान है कि गुवाहाटी में रक्त दाताओं में सबसे ज्यादा संख्या मारवाडियों की ही रही है। इन बातों से मैं मुख्यतः दो बातों की और ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा:-
१। इस तरह की तथ्यपरक जानकारियों को सार्वजानिक कर क्या हम इस बात को स्थापित नहीं कर सकते हैं कि मारवाडी समाज सिर्फ़ अर्थ दान ही नहीं करता है, बल्कि यह समाज तो तन, मन और धन से सेवा करना अपना परम धर्म समझता है। इस समाज को दकियानूसी बताने वालों को ऐसे आंकडे इस जवाब के रूप में दिए जा सकते हैं कि, दकियानूसी समाज नेत्र-दान और रक्त दान नहीं किया करता है।
२। न सिर्फ़ गुवाहाटी या असम में बल्कि मारवाडी समाज पुरे देश में अपने सतत सेवा कार्यों द्वारा मानव समाज की भलाई में लगा हुवा है। न जाने कितने स्थाई और अस्थायी सेवा प्रोजेक्ट इस समाज द्वारा बिभिन्न नामों द्वारा संचालित है। क्या इन तथ्यों को आंकडे बना कर हम लोगो के सामने नहीं रख सकते? लेकिन ऐसे तथ्यों को इकठ्ठा करना सहज में होने वाला कार्य भी नहीं है। क्या हम इस दिशा मैं सोच सकते हैं कि, मारवाडी युवा मंच इन्टरनेट के माध्यम से इस महत्वपूर्ण कार्यो को अंजाम दें।
आप सभी कि प्रतिक्रिया आमंत्रित है।
ओमप्रकाश
4 comments:
राजस्थानी और गुजराती वेपारी वर्ग में आते है. देश में गुजराती सबसे ज्यादा नेत्रदान व देहदान करते है. अर्थ का उपार्जन भी देश की सेवा ही है. मुझे शायद इसीलिए एक राजस्थानी-गुजराती होने पर गर्व का अनुभव होता है.
समाज के द्वारा किया जाने वाला सराहनीय कार्य है. इस जानकारी को सब दूर पहुँचना चाहिए. आभार.
http://mallar.wordpress.com
ओमप्रकाश जी का सुझाव बहुत अच्छा है. इसका उपयोग सिर्फ़ आंकडें, लोगो के सामने रखने हेतु ही नहीं,अपितु हमारे संगठन के लिए भी बहुत उपयोगी होगा. अगर हम आंकडें एकत्रित करें तभी अपने कार्यों का मूल्यांकन और भविष्य के लिए जनसेवा के अच्छे कार्यक्रम और सफल कार्ययोजना तय कर सकते हैं. अभी ज्यादातर, हमारी शाखाएँ स्वयं ही कार्यक्रमों का चुनाव करती हैं. प्रत्येक शाखा एवं उसके पदाधिकारी अपनी सोच के दायरे में ही कार्यक्रम तय करते हैं. यदि एक विकेन्द्रित डाटाबेस तैयार किया जाए और उसे हमेशा अपडेट किया जाए तो शाखाएँ अपने कार्यक्रमों में विविधता ला सकती है. साथ ही किसी नए कार्यक्रम का चुनाव करते समय, उस कार्यक्रम को पूर्व में आयोजित कर चुकी शाखा के अनुभवों से लाभ उठा सकती है. एक उपयोगी सुझाव देने के लिए ओमप्रकाश जी को बहुत-बहुत धन्यवाद.
- सरिता बजाज, बिहार प्रांतीय मारवाडी युवा मंच
meramanch.blogspot.com par ho rahi charcha manch hit me bahut hi aham bhumika ka nirwah karegi.jarurat hai jyada se jyada sathiyon ko jagane ki.ARUN AGARWAL PURBOTTAR PRADESHIY MARWARI YUWAMANCH 9435015485
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