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महाराष्ट्र जैसी घटनाएं और मारवाड़ी

साथियो,
मुझे लगता है चर्चा ज्यादा ही संगठन केंद्रित हो रही है। क्या यह अच्छा नहीं होगा कि हम ऐसे मुद्दों पर भी लिखें जो व्यापक मारवाड़ी समाज से सरोकार रखते हों। मसलन, यह बात मैं सोचता रहता हूं कि यदि कल को मुंबई में मारवाड़ी समाज के साथ वैसा ही सुलूक होने लगे जैसा आज बिहार और यूपी वालों के साथ हो रहा है, तो क्या आवाज उठाने वाला और प्रधानमंत्री को कार्रवाई करने के लिए मजबूर करने वाले नेता हमारे पास हैं। तब क्या हम राजस्थान के मुख्यमंत्री के मुंह की ओर ताकते नहीं रह और नतीजे में निराश होते नहीं रह जाएंगे? क्या हमें समज रहते सोचना और अपनी आज तक की मेहनत को सही रास्ते पर नहीं लगाना चाहिए? क्या एक राजनीतिक ताकत हासिल नहीं करनी चाहिए? जो ताकत है उसे एकजुट करना नहीं चाहिए?
विनोद रिंगानिया

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