प्रणाम युवा साथियों
एक ज्वलंत समस्या के बारे में आपके विचार आमंत्रित है |
मंच में किसी भी स्तर पर अध्यक्ष के इस्तीफा देने पर जो संकट आता है .. उसका एक स्थायी समाधान होना चाहिए | ऐसा देखा गया है की किसी भी स्तर पर अध्यक्ष के इस्तीफा देते ही हड़कंप मच जाता है ... नेतृत्व के अभाव में दिशाहीनता की हो जाती है|
मेरे विचार से संविधान में स्पस्ट रूप से ऐसी स्तिथि का समाधान हों चाहिए | मेरा एक सुझाव है की हर स्तर पर निवर्तमान अध्यक्ष वर्तमान अध्यक्ष के इस्तीफा देने पर स्वतः कार्यकारिणी का मुखिया होना चाहिए और एक बाध्यता लागु हो जाए की इस्तीफे की मंजूरी के ४५ दिनों के अन्दर निवर्तमान अध्यक्ष को नए अध्यक्ष के लिए चुनाव करवाना आवश्यक होगा |
क्या राय है साथियो आपकी इस बारे में?
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धन्यवाद
आकाश गर्ग
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8 comments:
आकाश, आपका सुझाव बिल्कुल सही है, इसमे एक बात और जोड़नी चाहिए की कार्यकाल का आधा समय पुरा होने की स्तिथि में निवर्तमान अध्यक्ष ही अध्यक्ष के रूप में बाकी का कार्यकाल पुरा करेंगे, यदि आधा से ज्यादा समय बचा हैं उसी परिस्तिथि में नए चुनाव कराये जायेंगे और ऐसी परिस्तिथि में भी चुनाव होने तक निवर्तमान अध्यक्ष ही अध्यक्ष होंगे.
अगर अध्यक्ष जैसे जिम्मेवार पद पर आसीन व्यक्ति इस्तीफा दे रहा है तो सीधे वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार करने का मतलब हुआ कि हम अध्यक्ष के इस्तीफे के कारणों की तलाश करने के बजे उसे इग्नोर कर रहे है. मेरा मानना है की किसी भी स्तर पर अध्यक्ष पद पर आसीन व्यक्ति आम-तौर पर बिना किसी ठोस वजह के इस्तीफा नहीं देता अतः उससे वरिष्ठ पदाधिकारियों को, उसके कारणों को जानकर उसके निदान का प्रयास करना चाहिए. यदि इसके बाद भी कोई रास्ता ना निकले तो उपाध्यक्षों में सबसे वरिष्ठ व्यक्ति को कार्यवाहक अध्यक्ष का कार्य भर सौंपा देना चाहिए.
- विकास मित्तल
धन्यवाद पुरुशोत्तामजी एवं विकाशजी
पुरुशोत्तामजी आपका सुझाव अति सुंदर है |
साधुवाद
विकाशजी मेरा मकसद अध्यक्ष के इस्तीफे के पीछे के कारणों को नज़र अंदाज करना नही वरन उसके स्वीकार होने के पश्चात् स्थिति को सँभालने हेतु समाधान तलाशने का है. हम कदापि यह नही चाहेंगे की किसी भी स्तर पर कोई अध्यक्ष इस्तीफा दे .
रही बात कार्यवाहक अध्यक्ष की तो विगत में ऐसा देखा गया है की कार्यवाहक अध्यक्ष केवल खानापूर्ति भर का ही कार्य निर्वाहन करता है| शाखा की समस्त गतिविधिया लगभग रुक जाती है| अतः इस समस्या का समाधान होना बहुत जरुरी है | आशा है आप मेरी इस बात से सहमत होंगे.
धन्यवाद |
हमें उपाध्यक्षों का चुनाव करते समय इस विषय का ध्यान अवश्य देना चाहिए की हम जीस उपाध्यक्षों का चुनाव कर रहे है वह आगामी वर्ष के लिए तकरीवन उन्ही में से एक को अध्यक्ष बनाना चाहिए ताकि एसी परिस्तिती में इन उपाध्यक्ष का आगामी चुनाव तक लाभ लिया जाए ! निवर्तमान अध्यक्ष को जिम्मेदारी देने विषय में में सहमत नही हूँ ! अगर यह समाधान नही होता है तो चुनाव करवाना ही उचित होगा !
आकाश जी के प्रश्न में ही मै पूरक प्रश्न जोरना चाहता हूँ-
1. यदि अध्यक्ष को इस्तीफा देना हो तो वो इसे कहाँ प्रस्तुत करे?
(अ) आम सभा,
(आ) कार्यकारिणी सभा
(इ) सत्र के चुनाव पदाधिकारी
(ई) निवर्तमान अध्यक्ष
(ओ) मंडलीय उपाध्यक्ष
(औ) प्रांतीय अध्यक्ष
(उ) राष्ट्रीय अध्यक्ष
2. यदि निवर्तमान अध्यक्ष भी पदभार ग्रहण की स्थिति में नही हो तो ?
- Sumit Chamria
Muzaffarpur
धन्यवाद राजेशजी एवं सुमितजी
पहले राजेशजी की बात पर कहना चाहूँगा की उपाध्यक्ष को जिम्मेदारी वाली बात भी उचित है और यह विचारयोग्य सुझाव है |
सुमितजी जहा तक मेरे जानकारी है अध्यक्ष अध्यक्षीय चुनाव प्रणाली से चुना गया है तब वह साधारण सभा को इस्तीफा देगा तथा अगर कार्यकारिणी चुनी गई है तब यह इस्तीफा कार्यकारिणी को देय होगा तथा वही इस पर मंजूर अथवा नामंजूर का निर्णय लेगी |
और अगर निवर्तमान अध्यक्ष पदभार सँभालने की स्थिति में न हो तो एक तदर्थ समिति का गठन किया जा सकता है जिसमे शाखा के वरिष्ट सदस्य शामिल हो तथा एक निश्चित अवधि के अन्दर चुनाव करवाने का प्रावधान आवश्यक तौर पर रखा जाए.
इस बाबत मेरी जानकारी अगर सही न हो तो और सदस्यों से अनुरोध है की वे मुझे सही करे तथा अपने अपने विचार हमर साथ बांटे |
धन्यवाद
क्या इस इस्तीफे से मंच की कार्यकारिणी भंग हो जाती है (विशेषकर अध्यक्षीय चुनाव की स्थिति में) ? इस संवैधानिक संकट का क्या उपाय है?
सुमितजी
अगर अध्यक्ष का चुनाव हुआ है तो अध्यक्ष के इस्तीफे के साथ ही कार्यकारिणी भी स्वतः भंग मानी जाती है |
और इसी संकट के समाधान के लिए तो मैंने यह चर्चा आरम्भ की है | जहाँ तक मेरी जानकारी है संविधान इस परिस्थिति पर मौन है |
ऐसे संकट के समाधान हेतु ऊपर सुझाये गए सुझावों में से किसी एक पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी को निर्णय लेकर संविधान संसोधन अविलम्ब करना चाहिए|
धन्यवाद
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