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चुनाव प्रणाली का निर्णय

नमस्कार युवा साथियों
एक प्रश्न मेरे दिमाग में आया ... आप सभी से राय जानना चाहता हु ...
सविंधान अनुसार शाखा चुनाव की प्रणाली एवं प्रक्रिया का निर्णय शाखा कार्यकारिणी लेती है. मेरा ये मानना है की यह निर्णय साधारण सभा को लेना चाहिए. चुकि साधारण तौर पर कार्यकारिणी की सभाओ में ८-१० सदस्य मौजूद होते है , सो केवल उन ८-१० सदस्यों के ऊपर इस अति महत्व पूर्ण प्रक्रिया का निर्णय छोड़ना कुछ ग़लत सा लगता है. साथ ही साथ मेरे ख्याल से इस प्रकार के नियम साधारण सदस्यों की शाखा के क्रियाकलाप में घटती रूचि के भी जिम्मेदार है. साधारण सदस्यों की चुनाव में हिस्सेदारी केवल मताधिकार के प्रयोग तक सीमित न हो. वे यह भी निर्णय ले की चयन प्रणाली क्या होगी. इस से सदस्यों की रूचि शाखा में बढेगी.
आप सभी क्या सोचते है?
-- आकाश गर्ग , गुवाहाटी

7 comments:

ashish said...

आपका विचार स्वागत योग्य है ... इस प्रणाली को अपनाकर हम अपने सभी साथियो के संपर्क में रह पाएंगे और मंच सिर्फ़ कुछ लोगो तक सीमित होकर नही रह पायेगा ... और जब अधिक से अधिक लोग इसमे रूचि लेंगे तो चुनाव प्रक्रिया भी निष्पक्ष होगी

Anonymous said...

धन्यवाद आशीषजी
मैं आशा करता हु और अधिक विचार सामने आए ताकि हम एक माहौल बनाकर राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस बाबत संपर्क कर सके.

Ravi Ajitsariya said...

प्रिय आकाशजी, किसी भी शाखा में कार्यकारिणी के पास सभी अधिकार होते है, यही सम्भिधानिक व्यवस्था है. कार्यकारिणी समिति का चुनाव भी हमही करते है, इसलिए जिस तरह से देश के सांसद देश में कोई भी बिल पास करने के लिए हम उन्हें अधिकृत करते है, उसी तरह से शाखा कार्यकारिणी समिति भी इस तरह के निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है. अब शाखा की साधारण सभा में कोई भी सदस्य अपनी असहमति जता कर कार्यकारिणी को अपने निर्णय के लिए पुनर्विचार के लिए निवेदन कर सकता है. ज्यादातर मामलों में कार्यकारिणी समिति वेही निर्णय लेती है, जिन पर आम सहमति है, .

Anonymous said...

रविजी धन्यवाद्
जैसा की आपने कहा की यही संवैधानिक व्यव्यस्था है तो मेरा भी मत यही है ... लेकिन मेरा प्रश्न यह है की क्या इस व्यव्यस्था में बदलाव की जरुरत है...?
समय काल एवं परिस्थितियों के अनुसार हर चीज़ में जरुरी परिवर्तन आने चाहिए.
रही बात साधारण सदस्यों द्वारा आपति उठाने की तो ऐसा साधारणतया सम्भव नही हो पाता क्युकी अमूमन यह निर्णय ले लिए जाते है तथा सदस्यों को चुनाव अधिकारी आदि की नियुक्ति तथा चुनाव के कार्यक्रम की रूप रेखा बनाकर सूचित किया जाता है |
आपने आम सहमति की बात कही है तो यह आम सहमती तो केवल कार्यकारिणी सदस्यों के बिच ही रह जाती है . आपसे तो कुछ छिपा नही है की आजकल किस प्रकार से सभाए कम सदस्यों की मौजूदगी में होती है तो फ़िर हम आम सहमती को केवल सिमित रूप में ही देख सकते है... वृहत तौर पर नही. आशा है मेरे मानस में आए इन विचारो से आप सहमत होंगे...
मैं और भी साथियों से इस परिपेक्ष में विचार जानने के लिए अति उत्सुक हु...
आपका
आकाश गर्ग

Anonymous said...

प्रिया आकाश जी
मैं आपकी बातो से पूर्ण सहमत हु | ऐसा करने से न केवल सभी सदस्यों की रूचि बढेगी बल्कि किसी भी प्रकार के निहित स्वार्थ वाले तत्वों को भी मनमानी करने का मौका नही मिलेगा | आपका विचार स्वागतयोग्य है तथा राष्ट्रीय कार्यकारिणी को इस संसोधन पर गंभीरता से विचार करना चाहिए
साधुवाद

विशाल अगरवाल ,

Anonymous said...

मंच सविंधान के अनुसार शाखा चुनाव की प्रणाली एवं प्रक्रिया का निर्णय शाखा कार्यकारिणी लेती है, और यही उचित है ! हम जीस कार्यकारिणी को विस्वास में एक साल देते है क्या वह विस्वास आपको टूटता दिख रहा है ! हर निर्णय साधारण सभा में होना तर्क संगत मेरे विचार में नही है !

Akash G said...

प्रिय राजेश जी
मेरा विस्वास टूट नही रहा है. मेरा मकसद विस्वास को और मजबूत करना है तथा एक बात और मैं स्पष्ट काना चाहूँगा की मैंने कभी यह नही कहा की चुनाव के सरे निर्णय साधारण सभा ले | मैंने सिर्फ़ चुनाव प्रणाली के निर्णय का अधिकार साधारण सभा को देने की बात कही है| इसलिए इसपर गौर करे |
धन्यवाद विशाल जी

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