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पुष्पा जी खेतान के बयान को क्या कहें?

असम के जोरहाट से प्रकाशित एक समाचार पत्र में अखिल भारतीय मारवाडी महिला सम्मलेन की अध्यक्षा श्रीमती पुष्पा खेतान का बयान प्रकाशित हुवा है। पत्र में प्रकाशित बयान के मूल भाग को यूँ बयां किया जा सकता है:-
१। महिला सम्मलेन का मारवाडी युवा मंच या मारवाडी सम्मलेन से कोई सीधा संपर्क नही हैं।
२। मारवाडी युवा मंच आज मारवाडी सम्मलेन को कोई महत्व नही देता।
३। मायूम द्वारा राष्ट्रीय स्तरपर कन्या भ्रूण संरक्षण एवं हत्याओं के रोकथाम के लिए दिया गया नारा " जागो माँ जागो" अप्रासंगिक है। मायूम को इस नारे को बदलना चाहिए।
४। मायूम अपनी महिला शाखाएँ और समितिया खोल कर महिला सम्मलेन के विस्तार की राह में रोड़ा बन रहा है।
५। दहेज़ प्रथा, विवाह आदि कार्यक्रमों में हो रहा विलासितापूर्ण खर्च के लिए मुख्यतः पुरूष वर्ग ही दोषी है।
६। समाज में दिख रही लड़कियों की कमी (लिंग असुंतलन) हेतु पुरूष वर्ग जिम्मेदार है।
७। महिला सम्मलेन की वर्तमान में २५० शाखाएं है।

क्या यह बयान इस लायक है की इस पर कोई टिपण्णी की जाए?

अजातशत्रु

5 comments:

Akash G said...

श्रीमती खेतान के इस बयान पर मेरे मस्तिषक में सिर्फ़ एक शब्द ही उभरता है - दुर्भाग्यपूर्ण !
यह बयान , श्रीमती खेतान आज जिस पद पर आसीन है उस पद की गरिमा , समाज बंधुओ एवं मायुम की आस्था तथा वृहतर मारवाडी समाज की एकजुटता की भावना को ठेस पहुंचाता है |
यह सर्व विदित है की मायुम ने अखिल भारतीय स्तर पर सम्मेलन को अपने बुजुर्ग की पदवी दी है |
अतः " महिला सम्मलेन का मारवाडी युवा मंच या मारवाडी सम्मलेन से कोई सीधा संपर्क नही है | मारवाडी युवा मंच आज मारवाडी सम्मलेन को कोई महत्व नही देता " जैसे वक्तव्य संकीर्ण सोच को दर्शाते है |
उन्होंने कहा है की मायुम को अपने कन्या भ्रूण संरक्षण एवं हत्याओं के रोकथाम के लिए दिए गए नारे जागो माँ जागो" को बदलना चाहिए तथा मायूम अपनी महिला शाखाएँ और समितिया खोल कर महिला सम्मलेन के विस्तार की राह में रोड़ा बन रहा है , यह पढ़कर ऐसा लगा की जैसे कई बार टीवी धारावाहिकों में घर की बेटी अथवा बहु राह भटक जाती है और घरवालो के खिलाफ अन्त्शंत बोलने लगती है तथा अनर्गल कार्य कलाप करती है , इनकी भी वही स्थिति हो गई है |
साथ ही साथ दहेज़ आदि सामाजिक कुरीतियों के लिए अकेले पुरूष वर्ग को दोषी ठहराना अंत्यंत अनुचित है| यह सर्व विदित है की शादी ब्याह में अधिकतम खर्च नारी शक्ति पर ही होता आया है तथा यह भी सब जानते है की गहने आदि का लोभ किसे होता है |

श्रीमती खेतान को इस गरिमा पूर्ण पद पर आसीन होकर ऐसे व्यर्थ की भासन बजी से बचकर कुछ सार्थक बहस प्रारम्भ करनी चाहिए तथा समुचित कार्यक्रम हाथ में ले. साथ ही साथ समज के सभी अंगो एवं संगठनो से समरसता का भाव उत्पन करने की कोशिश करे... अलगाव की नही

Akash Garg, Guwahati

Sumit Chamria said...

अपरिपक्व, दूरदर्शितारहित, बचकाना, बकवास, वैचारिक रूप से दिवालिया, दुर्भाग्यपूर्ण. इसके सिवा इस बारे में और कुछ भी कहना बेकार है. अगर अपने परिवार का ही कोई सदस्य भटक जाए, तो इसके अलावा और क्या कहा जा सकता है.

- सुमित चमडिया
मुजफ्फरपुर
9431238161

Shambhu Choudhary said...

सुमित जी,
कृपया ऎसे शब्दों के प्रयोग से बचें। -शम्भु चौधरी
अपरिपक्व, दूरदर्शितारहित, बचकाना, बकवास, वैचारिक रूप से दिवालिया, दुर्भाग्यपूर्ण

ashish said...

एक जिम्मेदार पद पर बैठी एक नेतृत्वकर्ता महिला का ये बयान अत्यन्त ही खेदजनक है . हम सब मारवाडी है और एक मारवाडी कभी किसी दुसरे मारवाडी की राह में रोड़ा नही बनता इसलिए पुष्पा जी का ये बयान की मारवाडी युवा मंच मारवाडी महिला सम्मान के विस्तार की राह में रोड़ा है अत्यन्त ही दुर्भाग्यपूर्ण है .... और जहा तक पुरूष वर्ग के दोषी होने का सवाल है इसके पीछे भी मुख्य कारण हमारी घृणित मानसिकता है .... ना तो महिला वर्ग और न पुरूष वर्ग उसके लिए दोषी है .... मै पुष्पा जी के बयान की कड़े शब्दों में निंदा करता हूँ ... मायूम द्वारा दिया गया नारा "जागो माँ जागो " कही से भी अप्रासंगिक नही है ... और किसी को हमें ये बताने की जरुरत नही है की क्या सही है और क्या ग़लत है ?

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर…आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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