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मारवाड़ी: धर्म, जाती, क्षेत्र या संस्कृति ? भाग - 2

प्रिय साथियों,
सप्रेम जय सियाराम !
हम सब मारवाड़ी हैं, ये बात सर्वविदित है, परन्तु कैसे...? राजस्थान में रहने वाले जो मारवाड़ी हैं, वो राजस्थानी हैं, हरियाणा में रहने वाले हरियाणवी और हम जैसे जो मारवाड़ी हैं, जिनके पुरखे 2-3 पीढ़ियों पहले राजस्थान, हरियाणा, मालवा आदि क्षेत्रों से आकर देश-दुनिया में बसे. आगे जाकर बिहारी, महाराशट्रीयन, गुजरती, अमेरिकी, नेपाली आदि बने. हम मारवाड़ी किसी एक क्षेत्र विशेष में तो रहते नहीं, पूरी दुनिया में फैले हुए हैं और जहाँ भी गए हैं वहां के लोगों, भाषा एवं रीती-रिवाजों को खुले दिल से अपनाया भी है. आज हमारी संख्या लगभग 9 करोड़ (एक अनुमान) है. अब यदि जाती की बात करें तो हम किसी विशेष जाती से बंधे हुए भी नहीं, अग्रवाल, ब्राह्मन, स्वर्णकार, राजपूत, पिछड़ी जाती, महेश्वरी, जाट आदि सभी जातियां हमारे यहाँ हैं. कर्म के आधार पर देखें तो हमारे लोग व्यापार, राजनीती, प्रसाशन, सरकारी नौकरियों आदि तमाम क्षेत्रों में भरे हुए हैं. धार्मिक दृष्टि से देखा जाये तो, मारवाड़ियों में हिन्दू, जैन, बौद्ध, मुस्लिम आदि सभी धर्मों को मानने वाले लोग हैं. फिर ऐसा क्या है जो हम सबसे अलग हैं और वो कौन सा तार है जो हमें एक धागे में पिरोये हुए है, वो है हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता हमारी अनूठी विचारधारा.

इसी से सम्बंधित है ये परिचर्चा जिसका विषय है:
मारवाड़ी: धर्म, जाती, क्षेत्र या संस्कृति

दोस्तों; इस परिचर्चा में भाग लेने के लिए आप सभी सादर आमंत्रित हैं. आपके द्वारा भेजी गयी प्रविष्टीयां समाज को नए रूप में परिभाषित करेगी.

- आपका ही....
सुमित चमडिया

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