इस ब्लॉग को प्रारम्भ करने का उद्देश्य: मंच की दशा और दिशा पर चर्चा करना। यह संवाद यात्रा AIMYM द्वारा अधिकृत नहीं है। संपर्क-सूत्र manchkibaat@gmail.com::"

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आज का सवाल

प्रश्न क्र। १ हम ऐसा क्या करे की हमारे अभिभावक सदस्यों का मार्गदर्शन मंच को प्राप्त होता रहे और मंच के प्रति उनकी सक्रियता बनी रहे ????

आशीष बोंदिया
मनेन्द्रगढ़ ,छत्तीसगढ़
०९९७७१२२२२७

बिल्कुल सही है ये सवाल। पोषक सदस्य के रूप में जो सेवाएँ ली जानी चाहिए उस तरह से उनका उपयोग नहीं लिया जा रहा। एक तरह से निराशाजनक स्थिति है । ख़ुद पोषक सदस्य भी भ्रम की स्थिति में है । सही चिंतन न होने की वजह से इस कार्य को करने में काफी मशक्कत करनी होगी चूँकि संविधान में इस तरह का कोई प्रावधान नही है।अतः मेरे विचार से एक सलाहकार के रूप में उनकी सेवाएँ ली जानी चाहिए। मंच के कार्यक्रम की सूचि में कई समितियां अलग अलग काम करती है । उनमे भी सलाहकार के रूप में उनसे मशविरा किया जाना चाहिए । इस तरह उन्हें सक्रिय बनाए रखने की पहल की जा सकती है। सामाजिक सरोकारों में उन्हें आगे रखकर उनका मार्गदर्शन लिया जा सकता है ।जब कभी समाज या इतर समाज के साथ मेल मिलाप अथवा सामाजिक संपर्क मजबूत बनाए रखने की प्रक्रिया हो तो पोषक सदस्यों की सहयोगिता बहुत लाभप्रद सिद्ध हो सकती है।

किशोर कुमार जैन, गुवाहाटी ९८६४०६३७९०

2 comments:

Sumit Chamria said...

काफी प्रासंगिक प्रश्न है आशीष जी; हमारे अन्दर की उर्जा को एक दिशा की आवश्यकता है जो अनुभव से ही मिल सकती है और अनुभव हमारे इन अभिभावक सदस्यों के पास है, जो हम उनसे प्राप्त कर सकते हैं.
उनका सहयोग पाने के लिए हमें कई कदम उठाने होंगे, जिसमे पहला हम अभी-अभी उठा चुके हैं

१. उचित सम्मान देना होगा.

२. उनका लगातार साथ पाने के लिए हम एक संरक्षक मंडल का गठन कर सकते हैं, इस मंडल का काम कठिन परिस्थिति में शाखा को अपने अनुभव से मार्गदर्शन देना होगा और समाज की वरिष्ठ संस्थाओं और युवा मंच के बिच सामंजस्य स्थापित करना होगा.
कई और कदम हैं जिनकी चर्चा हम आगे करेंगे.

-सुमित चमडिया
मुजफ्फरपुर
9431238161

Anonymous said...

आशीषजी, सुमितजी मेरे विचार से हमे मंच चाह - व्यक्तित्व विकास इस दिशा में कार्य करते हुए ४५ वर्ष के ऊपर के सदस्यों को प्रशिक्षक बनने हेतु प्रोत्साहित करना चाहिए जिससे उनके अनुभवों का फायदा सबको मिलता रहे, उन्हें उचित सम्मान दिया जा सके और ऐसा करते पर सविधान में भी कोई परिवर्तन की आवश्यकता भी नही पड़ेगी.

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