एक महीने का वक्फा कोई लंबा सफर नहीं है। यह तो एक शुरुआत भर है। इसे तो अभी और आगे बढ़ना है.राह में रुकावटें अवश्यम्भावी है । जीवन तो तभी सार्थक है जब इन सारी बाधाओं को तोड़कर एक नई मन्जिल बनाएँगे ,एक मशाल लेकर सबको रोशनी दिखाएंगे।कई लोगों ने अपने विचार ब्यक्त किए, कई ने शंकाएँ ब्यक्त की और कई ने भविष्य के लिए आशाएं ब्यक्त की, लेकिन आपने तो सभी का खुले दिल से स्वागत किया। आप शायद इस बात का अंदाज न लगा पाएं हो कि इस ब्लॉग से आपने आने वाले नेतृत्व के लिए एक रास्ता खोल दिया है। यह ब्लॉग राष्ट्र के शीर्ष नेतृत्व के साथ सीधे संबाद स्थापित करने का एक सशक्त माध्यम हो सकता है। हो सकता है कोई इसकी कोई इसकी अहमियत या इसमें समायी संभावनाओं को समझ नही पाया हो लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं हो सकता कि इसकी अवहेलना की जा रही है। हम एक सकारात्मक दृष्टिकोण से आगे बढ़ रहे है। हमें इसे कायम रखना है । नए काम में बाधाएं तो आती ही है. इसका मतलब ये तो नही हुआ कि हम अपने कदम पीछे हटालें. कहीं अगर अति हो भी जाए या हमारे कदम भटकने लगें तो टोकने का माद्दा तो आप में भी होना चाहिए. आपकी शुरुआत अच्छी है. आशा है भविष्य में और लोग भी जुडेंगे. मंच कि गतिविधियों औ दिशा निर्धारण क लिए यह एक सराहनीय कदम है. हाँ यह एक जरुर विचारणीय बिषय है कि इस बारे में अब तक शीर्ष नेतृत्व ने अपनी राइ ब्यक्त नही की है . लेकिन देर सबेर इस पर चिंतन आवश्यक है लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना जरुरी है कि कहीं देर न हो जाए एक अच्छे काम के लिए वक्त तो चाहिए ही।
Kishore Kaala
1 comment:
अच्छा प्रयास... लगे रहिये...
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