किशोर जी काला का पत्र पढ़ा ,बहुत खुशी हुयी कि उनके जैसे साहित्य के क्षेत्र के लोगो को इस ब्लॉग के मार्फ़त पढने का मौका मिला. .इसमे कोई दो राय नहीं कि जो लोग मंच से जुड़े उन्हें मंच ने काफी कुछ दिया ,में अपने आप को भी मंच के प्रति कर्जदार मानता हूँ! यही कारण ह कि मंच में कुछ गलतियाँ नज़र आती तो उन्हें मंच नेतृतव के सामने लाने कि ischa होती है और में उन्हें पूरीतरह सोच समज कर रखने कि कोशिश करता हूँ हो सकता है कि मंच नेतृतव मेरी बातें पसंद नही आवे पर अपनी बातों को उनके सामने रखने का अपना पुरा अधिकार है !इस ब्लॉग के मार्फ़त काफी मंच के सदस्यों ने अपने विचार रखे ,कुछ ने सुजाव दिए तो कुछ ने बहुत महत्वपूर्ण बातों कि तरफ़ कड़े सब्दो में लिखा पर यह बात तो सही सब मंच का भला चाहंने वाले लोग हैं और सब के सब अपने -अपने chetra में विशेष योग्यता रखते हैं। फिर भला मंच के नेतृतव को उनकी बातों को पदने और जबाब देने में क्या आपति हो सकती है !यह भी बातें सही है हमारे नेतागण इस ब्लॉग को पढ़ रहें है तभी तो उनके तरफ़ से यह बातें आती है कि यह ब्लॉग नकरात्मक है !
मेरा तो येही मानना है कि कोशिश करना अपना काम है और सही लगे तो उस पर अमल करना उनका काम है और कोई बातें उन्हें ग़लत लगे तो संबाद माध्यम के द्वारा उसे सही भी किया जा सकता है।
इस ब्लॉग के माध्यम से में इस ब्लॉग के owner अजातशत्रुजी को धन्यवाद् देना चाहूँगा कि उन्होंने हमें एक प्लेटफोर्म दिया जिससे हम अपनी बातों को रख सकें और अन्य लोग के विचार को पढ़ सकें ।
इस ब्लॉग के माध्यम से मैंने सम्भूजी, बिनोदजी,किशोरजी,रविजी, प्रकाशजी एवं काफी अन्य लोगो कि सोच मंच के लिए पढने को मिली वोह सही में बहुत लाभदायक रही.काफी कुछ जानने को मिला।
में सभी मंच के नेतागण से निवेदन करूँगा कि आप अपने पूर्वाग्रह से मुक्त हो और यह जरुर सोचें कि और भी लोग कुछ सोच रखतें हैं।कम से कम इन लोगो को समझने कि तो कोशिश करें !
पर अंत में कहना चाहूँगा कि सच्चाई कड़वी होती हैं
राजकुमार
मंच के बारें में सोचने कि गलती करने वाला एक साधारण सा सदस्य
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2 comments:
AAPKO PAHLIBAAR PADHA,ACHHI BAT KI AAPKO PADHNA SUKHAD RAHA.KEEP IT UP
ALOK SINGH "SAHIL"
राज कुमार जी, हम इस ब्लॉग को किसी व्यक्तिविशेष के लिये नहीं बल्कि समाज के सभी वर्ग के लिये इसका प्रयोग किया जा सके इस दिशा में हमें कार्यरत होना होगा। इस ब्लॉग से हम यह बात स्पष्ट करने में सफल रहे कि हमारी सोच कभी भी किसी व्यक्तिविशेष या संस्था के लिए नाकारात्मक नहीं है, पहले ही कलम के प्र्योग से जो लोग इतने बोखला गये कि वे इस ब्लॉग को ही नाकारात्मक मानने लगे, अब यह बात हमें सोचनी होगी कि हम जिन-जिन लोगों को मंच के दिशाबोधक सूत्र, कर्णधार, या नेतृत्व वर्ग मानते रहे हैं उनकी सोच किस कदर पुर्वाग्रह से ग्रसित है। खर ये उनको सोचना है कि वे क्या सोचते हैं। हमें अपने कांरवा को बढ़ाते ही रहना है। -शम्भु चौधरी
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