भाई बिनोद रिंगानिया नें अपने पिछले आलेख में कुछ महत्वपूर्ण बातों की और इशारा किया था। रवि अजितसरिया ने उन बातों को अपनी शैली में आगे भी बढाया, पर और कोई टिपण्णी उनके इस आलेख पर नही आयी है। उन्होंने मूलतः ७ (सात) बातों की और इशारा किया है, मैं क्रमशः उन सातो बातों पर अपनी राय देना चाहूँगा।
बिनोद जी ने कहा:-
१। अधिवेशन में कौन से प्रस्ताव पारित करवाए जाने वाले हैं। क्या उनकी रूपरेखा बन चुकी है? उन्हें इंटरनेट पर व्यापक प्रचार देना एक अच्छा सुझाव हो सकता है। क्या प्रस्तावों का इंटरनेट, मंच की पत्रिका आदि माध्यमों से अग्रिम प्रचार होना चाहिए?
इस बात पर मेरा मानना है -
कि मंच में प्रस्ताव पारित करवाया जाना एक unwanted परम्परा सा बन गया है, और अधिवेशनों में येन-केन प्रकारेण कुछ प्रस्ताव पारित करवा कर यह खाना-पूर्ती कर ली जाती है। आज-कल न तो पारित किए जाने वाले प्रस्तावों पर कोई खाश चर्चा होती है और न ही पारित किए गए प्रस्तावों के क्रियान्वयन पर कोई ठोस योज़ना बनाई जाती है। पिछले तीन अधिवेशनों में गृहीत किए गए प्रस्तावों कि सूचि यदि किसी के पास हो तो उपलब्ध कराएँ। ताकि समझा जा सके कि इन प्रस्तावों की अहमियत क्या है? क्या इस अधिवेशन की पूर्व संध्या में हो रही राष्ट्रीय सभा में पिछले अधिवेशन में लिए गए प्रस्तावों पर कोई क्रियान्वयन रिपोर्ट पेश की जायेगी? आमीन।
बिषय निर्वाचनी समीति द्वारा अब तक कुछ प्रस्तावों पर चर्चा प्रारम्भ हो जानी चाहिए थी। अब सवाल उठता है कि इस ब्लॉग में कुछ प्रस्तावों पर चर्चा की जाए। यह एक अच्छा बिकल्प हो सकता है। बिनोद जी, हम तो आप की विद्वता के कायल हैं, और यही आशा करेंगे कि आप ऐसे कुछ प्रस्ताव हमें सुझाएँ।
जारी
राजकुमार शर्मा
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