गुवाहाटी से भाई विनोद लोहिया नें अपनी पीड़ा इन शब्दों में जाहिर की है:-
मंच संदेश में प्रकाशित श्री प्रमोद जी शाह के लेख पर मेरी कुछ असहमति थी और इसीलिए मंच संदेश में उक्त लेख पर मैंने अपनी टिपण्णी (कमेंट्स) भी दी थी। वह टिपण्णी कई एक दिनों तक मंच संदेश ऑनलाइन पर दिख रही थी। आज जब मैंने देखा तो मेरी टिपण्णी को उक्त ब्लॉग (मंच संदेश) से हटा दिया गया पाया। मैंने टिपण्णी के साथ अपना मोबाइल नम्बर भी दिया था (जहाँ तक मुझे याद है), लेकिन उस टिपण्णी को हटाने से पहले मुझसे बात तक नही की गयी।
इसे क्या कहा जाए? असहमति के स्वर नागवार गुजर रहे हैं या ब्लॉग में ही कोई समस्या है ?
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1 comment:
ये तो सरासर ग़लत बात है...
हम यहाँ विचारो के आदान प्रदान करते है . ऐसे में किसी को यदि दुसरे की राए सही न लगे तो उसे दुसरे व्यक्ति से बात करनी चाहिए यूँ चुपचाप उसकी राए नहीं हटानी चाहिए .
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