इस ब्लॉग को प्रारम्भ करने का उद्देश्य: मंच की दशा और दिशा पर चर्चा करना। यह संवाद यात्रा AIMYM द्वारा अधिकृत नहीं है। संपर्क-सूत्र manchkibaat@gmail.com::"

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कितने इन्टरनेट प्रेमी हैं हम?

बहुत अच्छा लग रहा है कि भाई बिनोद के बाद शम्भू जी सरीखे बिचारक भी इस ब्लॉग से जुड़ रहे हैं। अफ़सोस मगर यह है कि नेतृत्व कि और से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं है। हालाँकि हमने मंच कि रास्ट्रीय डायरेक्टरी में उपलब्ध लगभग सभी मेल आई डी पर इस ब्लॉग कि जानकारी दी है।
डायरेक्टरी देखते हुवे जो बात सबसे ज्यादा तकलीफ देह लगी वोह यह है कि लगभग ९०% अधिकारीयों के मेल ई डी दिए हुवे ही नहीं है। होना तो यह चाहिए था कि इन्टरनेट कि सुबिधा का लाभ लेते हुवे मंच अपने सभी सदस्यों को इन्टरनेट व्यवहार करने हेतु मार्गदर्शन देता, काश........
मंच कि अपनी वेब साईट का हाल तो खैर सबको पता ही है। अब भी देर नहीं हुई है। इन्टरनेट आज कि हकीक़त है, कल कि जरूरत है और आने वाले समय की अनिवार्यता है। मंच को चाहिए की इसे ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने हेतु सदस्यों को प्रेरित करें।
अजातशत्रु

3 comments:

Shambhu Choudhary said...

मंच स्थापना के 23 साल [ भाग- मंच दर्शन ]:
हम बात मंच दर्शन से ही शुरू करते हैं। मंच के हर साथी इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि मंच के पाँच सूत्र हैं।
[1] मंच आधार - जन सेवा [2] मंच भाव - समाज सुधार [3] मंच शक्ति - व्यक्ति विकास [4] मंच चाह - सामाजिक सम्मान और आत्म सुरक्षा [5] मंच लक्ष्य - राष्ट्रीय विकास एवं एकता ।
परन्तु पिछले 23 सालों में मंच ने अपनी पूरी ताकत सिर्फ एक ही सूत्र के ऊपर झौंक दी हो, ऎसा प्रतित होता है। मंच दर्शन के अन्य सभी सूत्र मानो मंच के दायरे से बाहर कर दिये गये हों। सही अर्थों में कहा जाय तो इस सूत्र के जनक व साथ ही मंच के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रमोद सराफ के सपने को सही तरह से किसी ने देखने का प्रयास ही नहीं किया। मंच को दिशा देने की जगह कुछ लोगों ने मंच के प्लेटफार्म का इस्तेमाल स्वःप्रचार के लिये करना शुरू कर दिया। जिसका परिणाम हमारे सामने है। मंच जितनी तेजी से फैलता जा रहा है, वैचारिक रूप से उतनी ही तेजी से सिमटता भी गया। मंच के प्रथम सूत्र को छोड़ दें तो बाकी सूत्र पर कभी भी कोई भी नेतृत्व ने ध्यान नहीं दिया। समाज सुधार के सूत्र को तो ताला ही लगा दिया गया हो। यह बात सही है कि इस विवादस्पद सूत्र के चलते मंच ने गुवाहाटी के ही श्री मुरलीधर तोषनीवाल को मंच से निष्कासित कर दिया गया था। श्री तोषनीवाल का दोष क्या था यह बात उस समय के कार्यकारणि सदस्य ही बता पायेंगे हाँ उसने यह हिम्मत की थी कि मंच के इस सूत्र पर आपनी बात रखते हुए एक परिपत्र प्रकाशित करवा दिया था, जो मंच के उन नेताओं को नागवार गुजरा , जो समाज सुधार के नाम पर केवल स्व:सुधार से आगे कोई बात नहीं करना चाहते थे। तो मंच भाव - समाज सुधार में सुधार कर इसे इस प्रकार भी लिखा जा सकता है। मंच भाव - स्व-सुधार संभवतः इस बात से बात भी रह जायेगी और सूत्र भी सक्रिय बना रह जायेगा।
सूत्र में समाज सुधार की बात लिखना एक प्रकार से कुछ लोगों के गले की हड्डी बन जायेगी, इस लिये इस तरह के सूत्र जो हम मंच में लागू ही नहीं कर सकते ऎसे सूत्र को या तो हटा देना चाहिये या इसके शब्दावली को बदल कर कोई नया शब्द दे देना उचित होगा। आगे भी जारी ....


शम्भु चौधरी,
एफ.डी.-453/2,साल्ट लेक सिटी,
कोलकाता- 700106

ehindisahitya@gmail.com
नोट: कृपया अपना मेल पता दें, ताकी कुछ महत्वपूर्ण फोटो भी भेज सकूँ।

Unknown said...

अजातशत्रुजी आप ने एक सटीक टिपण्णी की है. मैं दावे के साथ कह सकता हूँ की जिन १०% अधिकारियों के ई-मेल पते दिए गए हैं उनमेभी ९०% इन-आपरेटिव होंगे.
आज के युग में हमारे युवा वर्ग का इंटरनेट के सदुपयोग से विरत रहना हमारे Technological पिछरेपन की निशानी ही तो हैं.
मगर हल क्या? शायद, जरुरत पैदा करना.
जब तक अनिवार्यता न हो किसी नई चीज को ग्रहण करने में मन हिचकता है. बदलाव तभी सम्भव है जब सभी को जागरुक किया जाए, उपयोगिता के बारे में-इस्तमाल करने की सरलता के बारे मैं. क्यों नही मंच के आधिकारिक कार्य (रिपोर्टिंग, पत्राचार आदि) अनिवार्य रूप से नेट के माध्यम से ही हो? शायद यही एक अच्छी शुरुवात हो सकती है.

Shambhu Choudhary said...

प्रिय दोस्तों, कहने को हम युवा मंच का नेतृत्व वर्ग कह लें, पर कुछ को छोड़कर मंच का सभी नेतृत्व वर्ग इन्टनेट की दुनिया से आज भी अनजान हैं। हमें उनसे ऐसी कोई आशा नहीं रखनी चाहिये जो आपके उद्देश्य को कमजोर करती हो। जो लोग संवाद के महत्व को जानते हैं, उनसे निवेदन करें कि वे मेरे पते पर अपनी बात को लिखकर पोस्ट कर दें, उनका पत्र नेट पर प्राप्त होते ही आ जायेगा। और हाँ ! आप मुझे अपनी टीम में भी ले सकतें है।- शम्भु चौधरी, कोलकाता - 09831082737

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