इस ब्लॉग को प्रारम्भ करने का उद्देश्य: मंच की दशा और दिशा पर चर्चा करना। यह संवाद यात्रा AIMYM द्वारा अधिकृत नहीं है। संपर्क-सूत्र manchkibaat@gmail.com::"

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सुमित चमडिया की टिपण्णी :-

धन्यवाद अजातशत्रु जी। "निंदक नियरे ...." वाली आपकी बात सही है पर क्या आपने ये सोचा है की अर्जुन महाभारत विजेता क्यों था...? उसकी सीधी वजह की उसने कबीर का यह दोहा नहीं पढ़ा था और सकारात्मक सोच वाले श्री कृष्ण को अपना सारथी बनाया था, यदि हमारे वरिष्ठ (नेतृत्व) नकारात्मक सोच रखेंगे तो महाभारत जीतना काफी कठिन होगा.वैसे मुझे बताया गया है की पूर्वोत्तर का काफी योगदान रहा है मंच सृजन में और अब भी है मंच चलाने में, उम्मीद है मुझे भी कोई अच्छी दिशा प्राप्त होगी.सुमित चमडिया मुजफ्फरपुर, बिहारमो.- 9431238161

2 comments:

Sumit Chamria said...

वैसे सकारात्मक परिचर्चा के क्रम में कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखने की जरुरत है:-
१. नयी युवा पीढी का जुराव मंच से कैसे हो.
२. पुराने लोग जो मंच से जुड़े हैं उन्हें सही सम्मान प्राप्त हो.
३. पीढी अंतराल को कैसे भरा जाये, इस लम्बे कल खंड में संस्थापक, पुराने, पोषक और नविन नेत्रित्व के बीच कैसे सामंजस्य बैठाया जाये.
४. आज की परिस्थितियों के अनुसार जो मूल्यों में बदलाव आये हैं, क्या हम उस अनुसार चल पा रहे हैं.
५. नेत्रित्व विकाश / व्यक्ति विकाश की दिशा में हम कितना बढ़ पाए हैं.

आगे भी जारी.....

सुमित चमडिया
मुजफ्फरपुर
बिहार

Anonymous said...

Dear Sumit ji,

That's exactly what I wanted to draw attention to. However, my concern is not mere respect for the seniors, but creating some platform so that there energy could be utilised in the interest of the society and to help Marwaris get their respectable space in the Indian socio-political sphere. Could you pl bring your learned friends into this discussion.

Binod Ringania

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