शंभु जी,मैं आपको आज से नहीं जानता। इसलिए इस बात में कोई शक ही नहीं है कि आप पूर्वाग्रह से ग्रस्त नहीं हैं। मेरे कहने का तात्पर्य यह था कि हमें आज की वस्तुस्थिति के संदर्भ में बातों को आगे बढ़ाना चाहिए। आज की वस्तुस्थिति में ऐसा क्या है जो पिछले कल नहीं था? मेरी समझ में यह है - आगामी कल हमें मंच के बारे में शायद कुछ भी कहने का अधिकार ही नहीं रह जाएगा। जिस नेतृत्व की आलोचना हम कर रहे हैं वह भी रिटायर्ड रहेगा, और जो लोग आलोचना कर रहे हैं वे भी। आपसी बातचीत में कभी भविष्य में दोनों स्वीकार भी करेंगे - हाँ बा तो गलती हो ग्यी, लेकिन बिकै लिए अमुक जी जिम्मेवार हा। मैं अपनी पुरानी थीम पर आता हूँ कि आज ही मंच के प्लेटफार्म का इस्तेमाल एक व्यापक संस्था की रूपरेखा तैयार करने में नहीं किया गया तो हम एक ऐतिहासिक मौका चूक जाएंगे। यह व्यापक संस्था बड़े रूप में भारतीय सामाजिक, राजनीतिक फलक पर मारवाड़ी समाज के लिए उचित स्पेस की तलाश करे। इस बात पर चर्चा करना क्या सार्थक होगा कि हम भारतीय राष्ट्रीय जीवन में कहाँ-कहाँ मारवाड़ी समाज की सशक्त उपस्थिति का अभाव देखते हैं और उसके क्या कारण हैं? मैं फिर कहता हूँ, जिन गलतियों को सुधारना है, जिस लाइन पर हम मंच को ले जाना चाहते हैं - जब संस्था में कोई भूमिका ही नहीं रहेगी तो वह काम कैसे होगा?
विनोद रिंगानिया
21 October 2008 23:33
नए संदेश
Wednesday
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment
हम आपकी टिप्पणियों का स्वागत करते है.