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Saturday

बहुत दिनों बाद एक बार फिर से आपलोगों के सामने मुखातिब होना चाहता हूँ .लेकिन ब्लॉग को देखने के बाद ऐसा लग रहा है शायद ही कोई मेरी और दोस्ती का हाथ बढ़ाना चाहता हो. ऐसा नहीं है की मैंने किसी से संपर्क साधने की कोशिश न की हो. लेकिन जहे नसीब.फिर भी आज की इस भागम भाग की दुनिया में भला किसे फुर्सत है.
इन दिनों मीडिया की बहुत सी खबरें मन को बैचेन किये हुए है. हमारे अस्सम में अभी सर्कार १००० करोड के घोटाले में फंसी हुई है. लेकिन जब एक लाख करोड के भ्रस्टाचार की खबर मिली मन ज्यादा बिचलित हो गया है . इतने रुपये से क्या करता होगा भला. हमारे अस्सम में एक अफसर ने करोडो रुपये गेरेज में दीवाल बनाकर उसमे छिपा रखे थे. दरअसल जितने की जरुरत हो उससे ज्यादा हो तो खतरे की घंटी तो हैही साथ ही एक मानसिक तनाव भी झेलना पड़ता है. लेकिन इतने रुपयों से वह कितनी बिलासिता कर सकता है? मई समझत हूँ मुझे अगर एक करोड मिल जाये तो में कम सेकम आर्थिक परेशानी नहीं झेलनी पड़े. लेकिन जो चाओ वो हो जाये तो फिर आदमी काम ही क्यों करे.

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